सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में कलेक्टर रहे एलेक्स पाल मेनन के अपहरण मामले में दंतेवाड़ा एनआइए कोर्ट में बयान दर्ज किया गया। अपहरण के आरोप में जेल में सजा काट रहे कथित नक्सली आकाश उर्फ भीमा को परिक्षण के लिए कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। आइएएस एलेक्स पाल मेनन ने कथित नक्सली को पहचाने से मना कर दिया।
उन्होंने अपने बयान में कहा कि घटना काफी पुरानी है, इसलिए अभियुक्त गणेश उईके, रमन्ना, पापा राव, विजय मड़कम आकाश, हुंगी, उर्मिला, मल्ला, निलेश, हिड़मा, हेमला भीमा उर्फ आकाश, मुकेश भीमा, देवा व 125 अन्य नक्सली को भविष्य में भी नहीं पहचान पाउंगा। बता दें कि छत्तीसगढ़ पुलिस की स्पेशल टीम ने साल 2016 में अपहरण में शामिल कथित नक्सली भीमा उर्फ आकाश को गिरफ्तार करने का दावा किया था।
कोर्ट में आइएएस ने दिया ये बयान –
आइएएस अधिकारी व तत्कालीन सुकमा कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन ने एनआइए के विशेष न्यायाधीश दीपक कुमार देशलहरे के समक्ष बयान दर्ज कराया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि सुकमा जिले के केरलापाल स्थित मांझी पारा में जल संरक्षण कार्यों के नक्शे का अवलोकन कर रहा था, उसी समय वहां पर गोली चलने की आवाज आई। गोली की आवाज सुनकर मैं अपने आम को बचाने के लिए जमीन के नीचे लेट गया था।
इसके बाद शिविर में अफरा-तफरी मच गई। सभी इधर-उधर भागने लगे। मैने देखा कि मेरे एक गनमैन किशुन कुजूर जमीन के नीचे पड़ा हुआ था। उसी समय किसी व्यक्ति ने कहा कि साहब आप भाग जाईये। तब मैं भाग कर अपने वाहन से आगे जा रहा था। तभी रास्ते में 3-4 बंदूकधारी नकाबपोश लोगों ने मेरी गाड़ी को रोक लिया। रोककर हम सभी को गाड़ी से उतारकर पूछे कि कलेक्टर कौन है, फिर मैं सामने आया, फिर वे लोग मेरे हाथ को रस्सी से और आंख में पट्टी बांध दिया और खींचते हुए मुझे जंगल की ओर कहीं ले जाकर 10 मिनट बाद मेरे आंख की पट्टी निकाल दिये। फिर वे अपने साथ जंगल में 13 दिन रखे।
2012 में नक्सलियों ने किया था कलेक्टर का अपहरण –
सुकमा जिले के केरलापाल गांव अंतर्गत मांझी पारा में 21 अप्रैल 2012 को ग्राम सुराज अभियान के तहत आयोजित शिविर में पहुंचे कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था। वहीं सुरक्षा में तैनात गनमैन किशन कुजूर और अमजद खान को गोली मारकर हत्या कर दी थी। अपहरण के 13वें दिन मध्यस्थों के माध्यम से बातचीत के बाद कलेक्टर को रिहा कराया गया था। छत्तीसगढ़ पुलिस ने चार साल बाद अपहरण कांड में शामिल एक नक्सली को गिरफ्तार करने का दावा किया। जिसका नाम भीमा उर्फ आकाश बताया और अपहरण कांड में मुख्य भूमिका निभाने की बात कही।
अधिवक्ता बीचेम पोंदी ने कहा, इस प्रकरण में 16 साक्ष्यों ने निश्चित रूप से अभियुक्त को पहचान से इन्कार किया है। प्रकरण अभी विचाराधीन है। इस मामले के विवेचक रहे तत्कालीन सुकमा एसडीओपी लखन पटले का कथन शेष है।