रायपुर। छत्त्तीसगढ़ में एक बार फिर मूंछों पर राजनीति शुरू हुई है। वर्ष 2003 में भाजपा नेता दिलीप सिंह जूदेव ने अपनी मूंछ को दांव पर लगाया था। इस बार आदिवासी नेता और भूपेश सरकार में मंत्री अमरजीत भगत ने मूंछ को दांव पर लगाया है।
छत्त्तीसगढ़ के राजनीतिक अखाड़े में अब मूंछ पर लगा दांव –
दरअसल, भाजपा ने एक दिन पहले प्रधानमंत्री आवास को लेकर राजधानी के पिरदा में प्रदर्शन किया था। यहां वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कहा कि प्रदेश में जब तक भाजपा की सरकार नहीं बन जाती, तब तक वह अपना बाल नहीं कटाएंगे। साय के बयान के जवाब में अमरजीत भगत ने कहा कि अगर प्रदेश में भाजपा की सरकार बन जाएगी, तो वह अपनी मूंछ मुड़ा देंगे। साय और भगत के बयान के बाद इंटरनेट मीडिया पर जमकर चर्चा होने लगी है। भाजपा ने भगत की एक ऐसा चित्र ट्वीट किया जिसमें वह बिना मूंछ के नजर आ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने भी भाजपा और साय को घेरते हुए कई ट्वीट किया।
भाजपा नेता के बयान के बाद कांग्रेस ने खेला नया दांव –
नंदकुमार साय के बयान के बाद कांग्रेस ने नया दांव खेला है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि नंदकुमार साय और अमरजीत भगत दोनों आदिवासी समाज के सम्मानित नेता है। कांग्रेस पार्टी आदिवासी समाज का सम्मान करती है। प्रदेश की जनता 2023 के विधानसभा चुनाव में पुन: कांग्रेस की सरकार बनाकर नंदकुमार साय के सिर के बाल और अमरजीत भगत की मूंछ को कटने से बचाएगी। प्रदेश की जनता कांग्रेस की सरकार बनने के बाद खुशहाल हुई है।
ठाकुर ने कहा कि भाजपा भोले भाले नंदकुमार साय का उपयोग अपनी राजनीतिक लोलुपता को पूरा करने के लिए करती है। 15 साल सत्ता रहने के दौरान नंदकुमार साय के साथ भाजपा ने दोयम दर्जे का व्यवहार किया था। आज जब सत्ता चली गई, तब भाजपा एक बार फिर नंदकुमार साय को आगे कर आदिवासियों के वोट को बटोरना चाहती है।
गौरतलब है कि नंदकुमार साय राज्य गठन केबाद पहले नेता प्रतिपक्ष चुने गए थे। अगले चुनाव में भाजपा ने साय को तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी केखिलाफ मरवाही विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था। साय यह चुनाव हार गए और प्रदेश की राजनीति से उनकी धीरे-धीरे विदाई हो गई। केंद्र में मोदी सरकार आने केबाद साय को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था।