रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक सर्व सम्मति से पारित हो गया। इस विधेयक में मीडिया संस्थान में काम करने वाले पत्रकार से लेकर गांव में काम करने वाले पत्रकार और फ्री लांसिंग करने वाले पत्रकारों को भी सुरक्षा दी जाएगी। सीएम भूपेश बघेल ने इसके लिए सभी को बधाई दी है। साथ ही, विपक्ष के चर्चा में हिस्सा नहीं लेने पर नाराजगी भी जताई है।
ऐतिहासिक दिन!
“छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक- 2023” आज विधानसभा में पास होकर कानून बन गया है।
हमने जो वादा पत्रकार साथियों से किया था, वह आज पूरा हुआ है।
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ निर्भीक होकर जनता की आवाज़ उठाए और जनभागीदारी निभाता रहे, ऐसी हमारी सोच है।
सबको बधाई! pic.twitter.com/M2cBeRl96P
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) March 22, 2023
विधानसभा परिसर में मीडिया से बातचीत में सीएम भूपेश बघेल ने कहा, आज छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी विधेयक पारित हुआ है। पत्रकार साथी जान जोखिम में डालकर खबरें लाते हैं। ऐसे लेख लिखते हैं, जिससे उन्हें और परिवार के लोगों को खतरा होता है। जनहानि के साथ-साथ धनहानि की संभावना बनती है। ऐसे पत्रकार साथियों के ऑफिस और गांव में जो काम करते हैं, उनके लिए भी न केवल अधिमान्यता पत्र जारी करने की व्यवस्था होगी, बल्कि 6 महीने में जिनके तीन लेख प्रकाशित हुए हैं, उन्हें भी सुरक्षा कानून के दायरे में लाया गया है। ताकि पत्रकारों की सुरक्षा हो सके।
सीएम ने कहा, यदि पत्रकार के साथ काम के दौरान शासकीय कर्मचारी दुर्व्यवहार करते हैं तो उसकी शिकायत के लिए समिति बनी है। इस समिति को अधिकार संपन्न बनाया गया है। प्रदेश स्तर समिति का गठन किया गया है, जिसमें अधिकारियों के साथ-साथ पत्रकार भी शामिल किए जाएंगे। यह समिति 6 सदस्यीय होगी. समिति मामलों की सुनवाई करेगी। दंड का प्रावधान रखा गया है. साथ ही, अपील का भी प्रावधान है। गलत शिकायत करने पर दंड का प्रावधान रखा गया है।
सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा कानून की देश में चर्चा थी. प्रदेश में प्रतीक्षा थी। उन्होंने जस्टिस आफताब आलम, राजू रामचंद्रन, वरिष्ठ पत्रकार स्व. ललित सुरजन, प्रकाश दुबे, रुचिर गर्ग, छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता, विधि सचिव और डीजीपी को याद किया। उन्होंने कहा कि जस्टिस आफताब आलम की अध्यक्षता में प्रारूप समिति बनी थी, जिसमें ये सभी शामिल थे. राज्य से लेकर दिल्ली में कई बैठकें हुईं। अलग-अलग संगठनों से रायशुमारी की गई। इसके बाद विभाग को प्रारूप सौंपा गया। विभाग में लंबे विचार विमर्श के बाद राज्यपाल से अनुमति लेकर विधानसभा में प्रस्तुत किया गया है। आज सर्व सम्मति से यह कानून पारित हुआ।