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छत्तीसगढ़ बड़ी खबर : 17 साल बाद बहुचर्चित इंदिरा प्रियदर्शिनी घोटाले की होगी जांच, सीएम ने ट्वीट कर लिखा ..

रायपुर। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बहुचर्चित इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है। बिलासपुर उच्च न्यायलय ने बैंक घोटाले की दोबारा जांच के आदेश दे दिए हैं। आदेश के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया कि जनता की गाढ़ी कमाई के घोटाले की जांच की अनुमति न्यायालय से मिल चुकी है।

नार्कों टेस्ट में घोटाले के प्रमुख अभियुक्तों में से एक उमेश सिन्हा ने बताया था कि उसने पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, मंत्री अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल व रामविचार नेताम सहित कई भाजपा नेताओं को करोड़ों रुपये दिए थे। बैंक संचालकों सहित कई अन्य लोगों को भी पैसे दिए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार उजागर होना चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए। कांग्रेस ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि छत्तीसगढ़ में सरकार बनती है, तो इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाले की जांच कराएंगे।

गौरतलब है कि पिछली सरकार ने बैंक घोटाले की चार्जशीट कोर्ट में पेश करने के दौरान नार्कों टेस्ट की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की थी, जबकि वायरल वीडियो में कई बड़े लोगों के नाम थे। इसके बाद से ही कांग्रेस ने पूर्ववर्ती रमन सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और जांच की मांग शुरू की थी।

कांग्रेस ने मांगी थी जांच की अनुमति –

छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए इस पर फिर से जांच की अनुमति मांगी थी। घोटाला उजागर होने के बाद बैंक ने अपने आप को डिफाल्टर घोषित कर दिया था। साथ ही इंश्योरेंस कंपनी के माध्यम से कुछ खातेदारों की राशि लौटाई थी, लेकिन काफी संख्या में खातेदारों को आज भी राशि नहीं मिल सकी है।

मुख्यमंत्री ने नार्कों टेस्ट का वीडियो साझा किया –

अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री ने बैंक के तत्कालीन मैनेजर उमेश सिन्हा के नार्कों टेस्ट का वह वीडियो भी अटैच किया है। वीडियो में महिला जांच अधिकारी बैंक मैनेजर से पूछताछ करती हुई दिख रही है। यह वीडियो लगभग 10 वर्ष पहले भी सार्वजनिक हुआ था।

प्रस्ताव के बाद भी सीबीआइ जांच नहीं हुई –

जानकारी के मुताबिक पंजीयक सहकारी संस्थाएं ने 24 दिसंबर 2009 को सहकारिता विभाग के सचिव को चिट्ठी लिखकर मामले की जांच सीबीआइ से कराने की अनुशंसा की थी। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने सीबीआइ जांच की अनुशंसा नहीं मानी। बैंक मैनेजर के नार्कों टेस्ट में यह भी बताया कि बैंक की अध्यक्ष रीता तिवारी के कहने पर उसने नेताओं को पैसे दिए।

फैक्ट फाइल –

कुल घोटाला-54 करोड़ रुपये,

वर्ष- 2006

कुल खातेदार- 22000

बैंक मैनेजर का नार्कों टेस्ट- 2007 (बंगलुरु)

न्यायालय प्रकरण क्रमांक-614-07

यह है मामला –

वर्ष 2006 में राजधानी स्थित बैंक में 54 करोड़ रुपये का घोटाला की बात सामने आई। कोतवाली पुलिस ने मैनेजर का नार्को टेस्ट कराया। नार्को टेस्ट में मैनेजर ने कई प्रभावशाली लोगों का नाम लेकर उन्हें पैसे देने की बात की थी।

छत्तीसगढ़ शासन उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने बताया कि यह आम लोगों से जुड़ी करोड़ों की धनराशि का मामला है। राज्य सरकार की अपील पर इस प्रकरण में रायपुर न्यायालय के प्रथम श्रेणी न्यायाधीश ने जांच की अनुमति दे दी है। 10 अभियुक्तों के अलावा पालिग्राफिक टेस्ट, ब्रैन मैपिंग और नार्कों टेस्ट के आधार पर जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, पुलिस अब उनसे पूछताछ करेगी।

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

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