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छत्तीसगढ़ बड़ी खबर : नक्सलियों की धमकी के बाद जवानों के परिजनों ने छोड़ा गांव, पढ़ें पूरी खबर

दंतेवाड़ा। देश सेवा के लिए युवा निकल पड़े हैं, लेकिन उनके पीछे है उनका परिवार, जहां एक तरफ जवान मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देते हैं वहीं हमारे देश की सरकार उनके परिजनों की सुरक्षा को कुछ खास अहमियत नहीं देती। बस्तर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। इस वनांचल के लोग बारूदों के ढेर में पलते-बढ़ते हैं। इसके बाद वे अपने जीवन को मातृभूमि की सेवा में समर्पित कर देते हैं। ऐसे ही बीजापुर के दरभा गांव के कुछ युवा अपनी मेहनत से सीआरपीएफ में भर्ती हुए। इसके बाद से बौखलाए नक्सलियों ने देर रात इनके घर पर दस्तक दी और परिजनों को जान से मारने की धमकी देकर गांव से ही निकाल दिया।

दरअसल, बीजापुर के दरभा गांव के तीन युवाओं का चयन सीआरपीएफ में हो गया है। इससे बौखलाए नक्सलियों ने उनके परिजनों को तुगलकी फरमान सुनाते हुए गांव से ही निकाल दिया। डरे-सहमे परिजन रशद-राशन लेकर अपने पूरे आशियाने, खेत-खलिहान को छोड़कर वहां से पलायन कर गए। बीजापुर के दरभा गांव को छोड़कर अब वे अपने रिश्तेदारों के यहां दंतेवाड़ा आ गए हैं।

नक्सलियों के दहशत में पलायन को मजबूर हैं परिजन –

बता दें कि, 6 महीने पहले बीजापुर दरभा गांव के दो युवा चैतू कुंजाम और रमेश कुंजाम सीआरपीएफ के बस्तर बटालियन में भर्ती हो गए। जैसे ही इसकी खबर माओवादियों को लगी हथियारबंद नक्सलियों ने परिजनों को गांव छोड़ने का फरमान सुना दिया। जबकि दरभा गांव में पुलिस कैम्प भी है बावजूद इसके सीआरपीएफ में नौकरी में लगे दोनों युवाओं के कुल 12 परिजन दहशत और डर के चलते बीजापुर से पिकअप वाहन में सामान भरकर दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा ब्लाक के एक गांव में अपने रिश्तेदार के यहां रुके हुए हैं, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं। अब तक उन्हें शासन-प्रशासन से कोई सहायता नहीं मिली है।

सीआरपीएफ की नौकरी छुड़वाने की धमकी –

जब हरिभूमि डाट काम की टीम परिजनों से मिलने पहुंची तो पहले परिवार के लोगों ने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने बताया कि, गांव छोड़ने के बाद भी नक्सलियों ने चैतू कुंजाम की पत्नी और परिजनों को धमकी देकर कहा है कि, सीआरपीएफ की नौकरी छुड़वा दो वरना तुम्हें परेशानी होगी।

सरकार नहीं दे रही ग्रामीणों की सुरक्षा को अहमियत –

गौरतलब है कि, बस्तर के युवा सुरक्षाबल में तैनात होकर नक्सलवाद की कमर तोड़ने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन जो युवा सुरक्षाबल में शामिल हैं उनके परिजनों को मिलने वाली नक्सलियों की धमकी उन्हें गांव छोड़ने के लिए मजबूर कर रही है। ऐसे में अंदुरुनी इलाको में बसे ग्रामीणों को सुरक्षा कैसे मिलेगी और कैसे बस्तर के युवा नक्सलवाद की समस्या से लड़ेंगे यह बड़ा सवाल है।

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

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