रायपुर। केंद्रीय मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद भाजपा प्रदेश संगठन अब नए सिरे से रणनीति बना रहा है। शाह ने वरिष्ठ नेताओं की बैठक में दो टूक कहा कि चुनाव तो जीत जाएंगे, वो हम पर छोड़ो, पहले नेता-कार्यकर्ता मैदान में तो उतरें। देश की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह के निर्देश के बाद भाजपा नेताओं का मानना है कि अगले दो महीने में प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। पीएम मोदी की पांचों संभाग में सभा होगी। वहीं, चुनाव सहप्रभारी मनसुख मंडाविया की एक सप्ताह में दो बैठकें भी तय हो गई हैं। बता दें कि एक महीने में तीसरी बार अमित शाह रायपुर पहुंचे और चुनावी मंथन किया।
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो अमित शाह ने वरिष्ठ नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी है। इसमें बस्तर और सरगुजा के आदिवासी क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है। यहां के स्थानीय नेताओं के साथ प्रदेश पदाधिकारियों की टीम हर विधानसभा के मुद्दे खोजेगी। बस्तर में मतांतरण, बोधघाट परियोजना, आदिवासियों का विस्थापन, सरगुजा में रेत खनन में भ्रष्टाचार, केंद्रीय योजनाओं को लागू नहीं करने जैसे मुद्दों पर शाह ने गंभीरता से काम करने और जनता तक अपनी बात पहुंचाने का निर्देश दिया है।
कमजोर सीटों के लिए विशेष प्लान –
भाजपा के आंतरिक सर्वे में कमजोर सीटों का आंकलन किया गया है। इसमें मैदानी इलाकों की सीटें ऐसी हैं, जिसमें कांग्रेस की लहर के कारण पार्टी उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था, जबकि उन विधानसभा क्षेत्रों में संगठन कमजोर नहीं है। इसमें बिलासपुर, रायपुर और दुर्ग संभाग की सीटें हैं, जिन्हें जीतने के लिए शाह ने बूथ और पन्ना प्रभारी को सक्रिय करने का निर्देश दिया है।
प्रदेश संगठन से मिलाएं कदमताल –
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो शाह ने वरिष्ठ नेताओं को साफ कहा कि प्रदेश संगठन के काम में कदम से कदम मिलाएं। केंद्रीय संगठन लगातार प्रदेश संगठन को फीडबैक दे रहा है, जिसके आधार पर अभियान तय हो रहे हैं। गुटों के फेर में न पड़कर सभी टीम भाजपा के रूप में काम करें।
वर्जन –
अमित शाह ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ अगले तीन महीने की कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा की। किस तरह से पार्टी के अभियान को आगे ले जाना है। कार्यकर्ताओं की बात सुनकर पार्टी के चुनाव अभियान को तैयार करने का निर्देश दिया है।
अरुण साव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष