जोशीमठ। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर अपनी विवादित टिप्पणी से चर्चा में हैं। वही, मौर्य ने हिंदू मंदिरों को लेकर जो कहा है, उस पर शंकराचार्य जी ने कड़ा विरोध किया।
क्या कहा था स्वामी प्रसाद मौर्य ने –
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, समाजवादी पार्ट के नेता और महासचिव स्वामी प्रसाद ने हाल ही में विवादित बयान दिया है। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे को लेकर कहा है कि देश के मंदिरों का भी सर्वे कराया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि मंदिरों का सर्वे हो तो सामने आएगा कि वो किसी बौद्ध मठ पर बना हुआ है।
उन्होंने इतना तक कहा है कि ज्यादातर पुराने मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं। इस दौरान मौर्य ने चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम के बारे में कहा है कि ये मंदिर भी आठवीं शताब्दी तक बौद्ध मठ हुआ करता था। वही करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र भू बैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम पर समाजवादी पार्टी के नेता की टिप्पणी से हिंदू आस्था को काफी आघात पहुंचा हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य व अखिलेश यादव पर भड़के शंकराचार्य –
वही, ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य जी स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘1008’ जी महाराज ने इस पर कड़ा विरोध दर्ज किया। शंकराचार्य जी ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य का वक्तव्य बिल्कुल तथ्य हिन है। वे न तो धर्म शास्त्र के विद्वान है और ना ही इतिहास के विद्वान हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य राजनीतिज्ञ है और अपनी राजनीति को चमकाने के लिए बीच-बीच में ऐसे बयान देते रहते हैं जिससे हम हिंदुओं की सनातनियों धर्मियों की भावनाओं को ठेस लगती है। रामचरितमानस पर दिया गया बयान अभी भुला ही नहीं गया और उन्होंने बद्रीनाथ धाम को लेकर टिप्पणी कर दी। बद्रीनाथ धाम करोड़ो सनातनीयों की आस्था का धाम है सतयुग का धाम हैं, आज का नही हैं।
वहां सतयुग से भगवान नर नारायण की तपस्या का भगवान बद्रीनाथ की तपस्या का वर्णन मिलता है। तपोमूर्ति आज भी वहां विराजमान होकर लोक कल्याण के लिए तपस्या करते रहे हैं। उनका दर्शन हम करते हैं वो सतयुग का धाम हैं। अब उस सतयुग से जो धाम वहां है। उसके बारे में गलत टिप्पणी कर रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के पास यदि कोई प्रमाण है तो वह हमारे सामने रखें ताकि उस पर विचार हो जाए।
स्वामी प्रसाद मौर्य जिनका पक्ष लेकर कह रहे हैं कि गड़े मुर्दे मत उखाड़िये। तो हम कहते हैं कि गड़े मुर्दे उखाड़िये, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएं मुसलमानों के जैसे हम जांच से भागेंगे नही। हम तो सामने से स्वागत करेंगे कि आइए जांच कीजिए। स्वामी प्रसाद मौर्य के पास प्रमाण है, तो सामने रखें यदि उन्होंने बिना सिर पैर की बात कही है तो उसकी जिम्मेदारी उन्हें लेनी होगी।
हम सनातनीयों ने किसी के स्थान को अपना नहीं कहा है। हम अपना स्थान स्वयं बनाते हैं और देवता को विराजमान करते हैं। राजनीति का मतलब बे सिर पैर की बात कर देना उचित नहीं है। बार-बार हमारी आस्था को ठेस पहुंचाई जा रही है। कब्जा करके अपना झंडा फहरा देना सनातनियों की नीति नहीं है।
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान का हम कड़ा विरोध करते हैं। यदि उनके पास कोई प्रमाण है। तब वह पटल पर आए यदि नही हैं, तो इस बात के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगे और इस तरह की बात दोबारा कभी नहीं कहूंगा। यह भी सार्वजनिक रूप से कहें। यही नहीं शंकराचार्य महाराज ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को चेताया और पूछा कि इस तरह के बयान उनके पार्टी के नेता क्यों देते हैं ?
अपने पार्टी के नेताओं के द्वारा इस तरह की टिप्पणियों पर संज्ञान लेना जरूरी हैं। बिना प्रमाण चोट पहुंचाने के लिए इस तरह की बातें उचित नहीं है। अखिलेश यादव इस तरह की टिप्पणी पर यदि चुप है तो साफ है कि उनका भी इसमें समर्थन है। अखिलेश यादव का टिप्पणी में यदि समर्थन है तो वह भी खुलकर सामने आए। बिना विलंब चर्चा के लिए विद्वानों के साथ बैठते हैं। हमारी आस्था को ठेस पहुंचाना हमें बिल्कुल स्वीकार नहीं है। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं।