
कबीरधाम। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2023 को लेकर कई तरह की अटकलें चल रही हैं। 06 सितंबर या 07 सितंबर इन दोनों तारीखों को लेकर भारी कन्फ्यूजन व्याप्त हैं, शंकराचार्य जी ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी की सही तारीख को बता दिया हैं।
ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी अशोक साहू ने बताया श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब किस समय उत्सव मनाए ? ऐसे प्रश्न आ रहे थे,
‘परमाराध्य’ परमधर्माधिस उत्तराम्नाय ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ‘१००८’ महाराज जी ने बताया हमारे सनातन धर्म मे एक परंपरा है स्मार्त की और दूसरी परंपरा है वैष्णव की, जो स्मृतियों के आधार पर अपना जीवन चलते हैं। वेद के बाद स्मृति को अपने धर्म नियम मानते हैं व जो वैष्णव है। वैष्णव आगमन के आधार पर जो अपना जीवन चलते हैं वह लोग वैष्णव कहलाते हैं।
दोनों के अपने-अपने अलग सिद्धांत हैं। दोनों के ही सिद्धांत गलत नहीं है। स्मार्त अपनी वाली और वैष्णव अपनी वाली जन्माष्टमी मनाएंगे। सारे सनातन धर्मी स्मार्त हैं एवं जिन्होंने वैष्णो दीक्षा ली वह अपने नियम के अनुसार चलेंगे, जिनको यह नहीं पता कि वह कौन है ? इसका मतलब वह स्मार्त है। क्योंकि यदि उनको वैष्णो दीक्षा दी गई होती तो उनके गुरु उन्हें बता चुके होते। सामान्य सतगृहस्थ ही स्मार्त हैं। स्मार्त के लिए जो जन्माष्टमी है वह कौन सी होगी ?
दरअसल, भगवान श्री कृष्ण का जन्म भादो महीना अष्टमी तिथि व रात्रि के मध्य काल में हुआ था। रोहिणी नक्षत्र होना भी अनिवार्य है। इन सब का जब मिला होगा तभी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। 6 तारीख को शाम के समय अष्टमी की तिथि अंग्रेजी तारीख के अनुसार शुरू हो रही है। इसका मतलब रात में रहेगी। दूसरे दिन भी मध्य रात्रि में रहेगी, तो ऐसी स्थिति में स्मार्त लोग 06 सितंबर को व्रत भी रखेंगे और रात में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे। वैष्णव लोग 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे।