रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर के तूता में 21 अगस्त से अनिश्चितकालीन आंदोलन कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों ने 24वें दिन हड़ताल खत्म कर दी है। मुख्यमंत्री के प्रतिनिधिमंडल द्वारा मांगाें पर आश्वासन दिए जाने के बाद स्वास्थ्यकर्मियों ने हड़ताल खत्म करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य कर्मचारियों की बर्खास्तगी और निलंबन की बहाली का भी आश्वासन दिया गया है।
मुख्यमंत्री के प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राकेश गुप्ता, कांग्रेस प्रवक्ता सुशील शुक्ला, धनंजय सिंह ठाकुर और महामंत्री अजय साहू शामिल थे। बताते चले कि वेतन विसंगति सहित पांच सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेशभर के करीब चालीस हजार स्वास्थ्यकर्मी अनिश्चितकालीन आंदाेलन पर डटे हुए थे। स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष टार्जन गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से मांगों को पूरा करने के लिए आश्वासन दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से भी बातचीत हो चुकी है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ हेल्थ फेडरेशन के 35,000 डाक्टर्स, नर्से, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक विगत 21 दिनों से तूता स्थित धरना स्थल में अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। इसकी वजह से ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाएं लगभग ठप पड़ी हुई थी। इसी बीच शासन की ओर से एस्मा लगाने के बाद निलंबन की कार्रवाई भी की गई थी। जिसके बाद लगभग 4,084 लोगों को सेवा से निलंबित कर दिया गया था।
बीजेपी व आम आदमी पार्टी ने दिया था समर्थन
बता दें स्वास्थ्यकर्मियों के अनिश्चितकालीन आंदोलन के दौरान भाजपा के नेताओं ने धरना स्थल पहुंचकर अपना समर्थन दिया था। प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने घोषणा की थी कि सरकार बनने पर सभी कर्मचारियों की मांगें स्वीकृत की जाएगी। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया था।
यह थी प्रमुख मांगें
वेतन विसंगति- ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक, एएनएम/एमपीडब्लयू एवं स्टाफ नर्स का ग्रेड पे।
कोविड इंसेटिव- कोविड काल में सेवा देने वाले चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष काेरोना भत्ता।
अवकाश दिवस का भुगतान- स्वास्थ्य के कर्मचारी शनिवार व रविवार को भी सेवाएं देते हैं। इसलिए अवकाश दिवस का भी भत्ता।
सेटअप की स्वीकृति एवं भर्ती- मरीजों की संख्या के साथ हेल्थ सेटअप रिवाइज नहीं किया गया है। जिससे कर्मियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इसलिए भर्ती और सेटअप रिवाइज किया जाए।
हिंसात्मक गतिविधियों में रोक- डाक्टराें सहित अन्य स्टाफ के साथ मारपीट की घटनाएं होती रहती हैं। ऐसी स्थिति में तत्काल एफआइआर, आरोपी को मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट एवं हिंसात्मक घटनाओं के विरूद्ध कार्रवाई।