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छत्तीसगढ़ बड़ी खबर : अब नहीं बनाया जा सकेगा बारनवापारा अभ्यारण में वन भैंसा संरक्षण प्रजनन केंद्र

रायपुर। बारनवापारा अभ्यारण में वन भैंसा संरक्षण प्रजनन केंद्र अब नहीं बनाया जा सकेगा। वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य वन्य जीव संरक्षक को एडवाइजरी जारी करके कहा है कि किसी भी अभ्यारण या नेशनल पार्क में ब्रीडिंग सेंटर या रेस्क्यू सेंटर नहीं बनाया जा सकता।

वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम में हुए संशोधन के अनुसार ब्रीडिंग सेंटर को अब जू माना गया है और किसी भी अभ्यारण या नेशनल पार्क में जू नहीं बनाया जा सकता है। इस प्रकार संशोधन के बाद किसी भी अभ्यारण या नेशनल पार्क में संरक्षण ब्रीडिंग सेंटर नहीं बनाया जा सकता। इसके लिए नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड की अनुमति आवश्यक है। छत्तीसगढ़ वन विभाग के पास नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड की अनुमति तो है ही नहीं छत्तीसगढ़ वाइल्डलाइफ बोर्ड की भी अनुमति नहीं है। संशोधन को दिसंबर 2022 में अधिसूचित किया गया जिसे इस वर्ष एक अप्रैल से यह क्रियान्वित किया गया।

अधिनियम में किये गए संशोधनों के बावजूद प्रधान मुख्य संरक्षक (वन्यप्राणी) ने 27-28 फरवरी में बारनवापारा अभ्यारण में वन भैंसे के ब्रीडिंग प्लान बनाने बैठक आयोजित की, जिसमें छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के साथ साथ सीसीएमबी हैदराबाद, एनजीओ-वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया, सेवानिवृत अधिकारी व्यक्तिगत रूप से शामिल हुए। भारत सरकार की कई संस्थाएं जैसे वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और कई विदेशी प्रतिनिधि भी इसमें ऑनलाइन शामिल हुए। बाद में प्रधान मुख्य संरक्षक (वन्यप्राणी) ने 25 अप्रैल को केंद्रीय जू अथॉरिटी से संरक्षण ब्रीडिंग सेंटर बनाने के लिए अनुमति मांगी। केंद्रीय जू प्राधिकरण ने कानून को दरकिनार कर 10 मई को बारनवापारा में संरक्षण ब्रीडिंग सेंटर बनाने के लिए सैद्धांतिक अनुमति दे दी। 7 अगस्त को प्रधान मुख्य संरक्षक (वन्यप्राणी) ने केंद्रीय जू प्राधिकरण को दो लाख आवेदन शुल्क का भुगतान कर एक अधिकारी को 9 अगस्त से 11 अगस्त तक हवाई जहाज से दिल्ली जल्दी से जल्दी अनुमति लेने के लिए भेजा।

छत्तीसगढ़ वन विभाग की इन सब कार्रवाइयों को देखते हुए सिंघवी ने सितम्बर में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिखकर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की कई बड़ी-बड़ी संस्थाएं ऐसे वर्कशॉप में शामिल होती हैं। वे ऐसे निष्कर्ष पर क्रियान्वयन करती हैं जो भारतीय कानून के विरुद्ध है। इसके लिए छत्तीसगढ़ वन विभाग की और केंद्रीय जू प्राधिकरण की ओर से बारनवापारा अभ्यारण में बनाए जा रहे ब्रीडिंग सेंटर को दी गई गैरकानूनी सैद्धांतिक अनुमति का उदाहरण दिया। सिंघवी के पत्र को गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी की है।

सिंघवी ने कहा कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को जब मालूम था की बारनवापारा अभ्यारण में संरक्षण ब्रीडिंग सेंटर नहीं बनाया जा सकता फिर भी अप्रैल में असम से 50 लाख खर्च कर चार वन भैसा लेकर आए। फरवरी में वर्कशॉप क्यों आयोजित किया, जिसमें उन्होंने शामिल होने वालों को लाखों रुपए टीए डीए, खाना, रुकने पर खर्च किया। दो लाख केंद्रीय जू प्राधिकरण को दिए, अधिकारी को दिल्ली भेजने में पचास हजार खर्च किए, इन सब की वसूली प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) से की जानी चाहिए, वसूली तथा असम के वन भैसों को वापस भेजने के लिए उन्होंने प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है।

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

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