रायपुर। जिन लोगों ने बहकावे में आकर अपना धर्म छोड़ दिया है, यदि वे पुन: घर वापसी करना चाहते हैं, तो समाज के लोग उन्हें स्वीकार करें, हृदय से अपनाएं। केवल घर वापसी कराना ही उद्देश्य नहीं होना चाहिए। घर वापसी के बाद उन लोगों को सनातन धर्म की शिक्षा दें। देश को जाति-पांति में न बांटे, प्रत्येक हिंदू अपने को सिर्फ सनातनी कहें। सनातन धर्म की रक्षा के लिए देश के सभी मंदिरों के पुजारी मंगलवार, शनिवार को बच्चों, युवाओं को धर्म के प्रति जागरूक करते हुए सनातन धर्म की शिक्षा प्रदान करें। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए अपनी अंतरात्मा को जगाएं। उक्त विचार बागेश्वर धाम के पं.धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए व्यक्त किया।
पत्रकारों के सवालों के जवाब में पं.शास्त्री ने कहा कि मतांतरण को रोकने के लिए हिंदुओं को जागरूक होना पड़ेगा। इसके लिए वे स्वयं जशपुर से लेकर बस्तर के कोने-कोने तक श्रीराम कथा के जरिए हिंदुओं को जागरूक करेंगे। हिंदू राष्ट्र का असली अर्थ सनातन धर्म के मूल्यों पर चलना है। एकता बनाए रखना, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना, किसी के दिल को चोट न पहुंचाना। अपने माता-पिता, गुरु, संतों के प्रति निष्ठा, आदर सत्कार की भावना हो। हर कोई जयहिंद, भारत माता की जय बोलने में न शरमाएं। भारत को बचाना है तो गर्व से कहें कि हम सनातनी हैं।
जातिगत जनगणना नहीं, गरीबों की गणना हो –
देश में जातिगत जनगणना नहीं होनी चाहिए। इसकी बजाय देश के गरीबों की गणना की जाए। जो लोग वास्तव में गरीब हैं, वे चाहे किसी भी जाति के हों, उनका कल्याण करने के लिए सरकार प्रयास करे।
रामराज्य आएगा –
पं. शास्त्री ने कहा कि वे 22 जनवरी को अयोध्या में थे, प्राण प्रतिष्ठा का वह अद्भुत पल जीवन पर्यंत याद रहेगा। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर आंखों से आंसू बह रहे थे। अब, रामलला स्थापित हुए हैं तो रामराज्य भी आएगा। रामराज्य की स्थापना के लिए जातिगत भेदभाव मिटाना, पिछड़े हुए लोगों को आगे लाना, गरीबों का उत्थान करना है। सभी संगठित होकर कार्य करेंगे तो रामराज्य अवश्य आएगा।
पथराव करने वालों की ठठरी बांधेंगे –
अयोध्या में श्रीरामलला के विराजित होने के बाद कुछ शहरों में उपद्रवियों ने पथराव किया। हिंदू राष्ट्र बन जाए तो ऐसे उपद्रवियों की ठठरी बांध देंगे।
अंग्रेजी पढ़ें पर शिक्षा भारतीय संस्कृति की दें –
पं. शास्त्री ने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को भले ही अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाएं, लेकिन बच्चों को भारतीय संस्कृति की शिक्षा अवश्य दें। बच्चों को आदर सत्कार करना और बुजुर्गों की देखभाल करने का संस्कार दें। जब बच्चों के अच्छे कार्यों की वजह से, उनके नाम से माता-पिता पहचाने जाएंगे तभी सनातन संस्कृति का सही अर्थ होगा। विकास के नाम पर मंदिरों को न तोड़ा जाए।
गीता-रामायण पढ़ाएं –
स्कूलों में बच्चों को गीता, रामायण पढ़ाया जाना चाहिए। देश के अमर वीरों, महान व्यक्तित्व वाले स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, अहिल्या बाई, लक्ष्मीबाई जैसी हस्तियों की जीवनी पढ़ाने से बच्चों में देशहित की भावना पैदा होगी।
क्यों न दिखाएं चमत्कार –
पं.शास्त्री ने कहा कि जब दूसरे धर्म के लोग चमत्कार दिखाने की बात करते हैं, कैंडल जलाते हैं, चादर चढ़ाते हैं तो हम दिव्य दरबार लगाकर चमत्कार क्यों न दिखाएं। हनुमान की कृपा सभी पर है, जो लोग हम पर आरोप लगाते हैं, वे हमारा सामना करने सामने आएं।
अयोध्या एक झांकी काशी-मथुरा बाकी –
पं. शास्त्री ने कहा कि अयोध्या में रामलला 500 साल बाद विराजे हैं, अयोध्या तो एक झांकी है, अभी मथुरा-काशी बाकी है। सनातन धर्म की अलख जगाना हम सभी का उद्देश्य होना चाहिए।
चंदखुरी का नाम कौशल्या धाम रखा जाए –
पं.शास्त्री ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय हमारी कथा में आए थे। उनसे मतांतरण को रोकने पर चर्चा हुई, उन्होंने आश्वस्त किया है कि मतांतरण को रोकने के लिए कठोर कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री से मैंने आग्रह किया है कि चंदखुरी का नाम बदलकर कौशल्या धाम किया जाए। छत्तीसगढ़ के लोगों के मन में राम बसे हैं।