रायपुर। छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल की विस्तार की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शुक्रवार को फिर दिल्ली जा रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ मंथन करके मंत्रिमंडल में दो अन्य विधायकों के नामों पर अंतिम सहमति ली जा सकती है। इसके बाद मंत्रिमंडल के नए सदस्यों का ऐलान हो सकता है। भाजपा के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल और संगठन मंत्री पवन साय अभी दिल्ली में हैं। प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन भी दिल्ली की बैठक में शामिल हो सकते हैं। रात में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात होगी।
माना जा रहा है कि इस मुलाकात में राज्य कैबिनेट में बदलाव को फाइनल किया जाएगा। दिल्ली रवाना होने से यहां यूनिफाइड कमांड की बैठक में शामिल होंगे। इस बैठक में राज्य पुलिस और गृह विभाग के आला अफसर, नक्सल मोर्चे पर तैनात केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल के अफसरों के पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और आंध प्रदेश के अधिकारी भी शामिल होंगे।
सीएम साय आज दिल्ली होंगे रवाना –
यूनिफाइड कमांड की बैठक के बाद सीएम दोपहर दो बजे मुख्यमंत्री निवास से एयरपोर्ट के लिए रवाना होंगे और दोपहर दो बजकर 55 मिनट पर नियमित विमान से दिल्ली रवाना हो जाएंगे। वहां शाम सवा पांच बजे छत्तीसगढ़ सदन पहुंचेंगे।
गौरतलब है कि इसके पहले 25 जून को सीएम दिल्ली पहुंचे थे तब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। अब केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा की अंमित मुहर बाकी है। बतादें कि 21 जुलाई से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में सत्र से पहले ही सरकार कैबिनेट का विस्तार कर लेना चाह रही है।
सांसद बनने के बाद 17 जून को शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने साय कैबिनेट से इस्तीफा दिया था, उसके बाद प्रदेश दो मंत्रियों का पद रिक्त है। अभी मुख्यमंत्री समेत 11 मंत्री कार्यरत हैं। राज्यपाल द्वारा बृजमोहन अग्रवाल का 20 जून 2024 को मंत्री पद से इस्तीफा मंजूर करने के बाद बृजमोहन के तमाम स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, संसदीय कार्य, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग का प्रभार फिलहाल मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ही संभाल रहे हैं।
जातिगत समीकरण की उधेड़बुन में उलझी भाजपा –
पार्टी सूत्रों के अनुसार साय कैबिनेट में जिन दो नए मंत्रियों की जगह मिलेगी उनमें एक नया और एक पुराना चेहरा हो सकता है। इसमें पार्टी जातिगत समीकरण साध सकती है। वर्तमान में कार्यरत 11 मंत्रियों में छह मंत्री अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी वर्ग से आते हैं। इनमें उप मुख्यमंत्री अरुण साव, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, उद्याेग मंत्री लखनलाल देवांगन, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल और महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े शामिल हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार दुर्ग से आने वाले भाजपा विधायक गजेंद्र यादव को मंत्री बनाया जा सकता है। वह भी ओबीसी वर्ग से आते हैं। ऐसे में अगर उनकी एंट्री हुई तो एक ओबीसी मंत्री को हटाया जा सकता है। इसी तरह सामान्य वर्ग से अभी तक केवल एक उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा हैं। जबकि अनुसूचित जनजाति वर्ग यानी आदिवासी समाज से तीन मंत्री हैं। इनमें मुख्यमंत्री विष्णुदेव समेत कृषि मंत्री रामविचार नेताम और वन मंत्री केदार कश्यप शामिल हैं। अनुसूचित जाति वर्ग से भी केवल एक मंत्री दयालदास बघेल हैं।
जातिगत समीकरण के उधेड़बुन में उलझी भाजपा के बीच मंत्रियों के बीच सामाजिक व जातिगत समीकरण का संतुलन बनाना बड़ी चुनौती है। रायपुर से राजेश मूणत, कुरूद विधायक अजय चंद्राकर, बिलासपुर से अमर अग्रवाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, बस्तर से लता उसेंडी का नाम चर्चा में है। इसी तरह नए चेहरे में रायपुर से पुरंदर मिश्रा, दुर्ग से गजेंद्र यादव, पंडरिया विधायक भावना बोहरा,केशकाल विधायक नीलकंठ टेकाम, सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो का नाम शामिल है।