छत्तीसगढ़

Bilaspur High Court Decision: चेक बाउंस मामले में शिकायतकर्ता को माना जाएगा ‘पीड़ित’, अपील का अधिकार बरकरार

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने चेक बाउंस से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि इस तरह के मामलों में शिकायतकर्ता को दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत ‘पीड़ित’ माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपी को निचली अदालत से बरी कर दिया गया हो, तो शिकायतकर्ता को उसके खिलाफ अपील करने का अधिकार है।

यह मामला रायपुर निवासी पूनम व्यास द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, रायपुर द्वारा 21 दिसंबर 2016 को दिए गए निर्णय को चुनौती दी थी। इस निर्णय में आरोपी कमल किशोर व्यास को धारा 138 (चेक बाउंस) के तहत बरी कर दिया गया था।

कोर्ट में क्या हुआ?

याचिका पर सुनवाई के दौरान पूनम व्यास के वकील विजय चावला ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार भी चेक बाउंस मामलों में शिकायतकर्ता को ‘पीड़ित’ माना जाता है। ऐसे में उसे आरोपी की रिहाई के खिलाफ अपील करने का पूरा अधिकार है।

इसके साथ ही, याचिकाकर्ता ने नई अपील दाखिल करने की अनुमति मांगी और यह आग्रह भी किया कि अपील की देरी को बाधा न माना जाए, क्योंकि आरोपी बार-बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद कोर्ट में पेश नहीं हुआ।

अपील 60 दिनों के भीतर दायर करना होगा :

हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि अगर नई अपील 60 दिनों के भीतर दायर की जाती है, तो समयसीमा (limitation) को उस पर विचार करने में बाधा नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अपील को उसके मैरिट यानी मामले के तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर ही सुना जाएगा, न कि समयसीमा के आधार पर रोका जाएगा।

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

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