Breaking News: फोर्स के दबाव में नक्सलियों का सरेंडर का संकेत, केंद्रीय समिति ने लिखा चौंकाने वाला लेटर

रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी मोर्चे पर सुरक्षा बलों को बड़ी उपलब्धि हाथ लगी है। पहली बार नक्सली संगठन ने यह स्वीकार किया है कि वह हथियारबंद संघर्ष छोड़कर शांतिवार्ता का रास्ता अपनाने के लिए तैयार हैं। लगातार हो रही सुरक्षाबलों की कार्रवाइयों और शीर्ष नक्सलियों के मारे जाने के बाद संगठन ने प्रेस रिलीज जारी की है। इसमें साफ कहा गया है कि वे अब संघर्ष को विराम देकर बातचीत के लिए तैयार हैं, हालांकि उन्होंने सरकार से पहले सीजफायर की घोषणा करने की शर्त रखी है।
किसने जारी किया है चिट्ठी
यह चिट्ठी कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी की ओर से जारी की गई है। खास बात यह है कि इस तरह का दस्तावेज पहली बार संगठन की केंद्रीय समिति ने सार्वजनिक किया है। यह पत्र 15 सितंबर को जारी किया गया था और अब मीडिया में सामने आया है। इसमें कहा गया है कि वे अस्थाई रूप से हथियार छोड़कर जनता की समस्याओं के समाधान के लिए सामाजिक आंदोलनों में हिस्सा लेने को इच्छुक हैं।
सीजफायर की मांग
नक्सली संगठन ने पत्र में सरकार से एक महीने के लिए औपचारिक युद्धविराम (सीजफायर) की घोषणा करने का आग्रह किया है। साथ ही उन्होंने साफ किया कि शुरुआती बातचीत वीडियो कॉल के माध्यम से भी की जा सकती है। उनका कहना है कि यदि खोजी अभियान और ऑपरेशनों को रोका गया तो जंगलों में बह रहा खून रुक सकता है और उन्हें शांति के क्षेत्र में बदलने का मार्ग प्रशस्त होगा।
सरकार से अपील के बाद फैसला
माओवादी केंद्रीय समिति ने पत्र में लिखा है कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की ओर से बार-बार हथियार छोड़ने की अपील के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया है। संगठन ने अस्थायी युद्धविराम की घोषणा करते हुए कहा है कि वे गृह मंत्रालय अथवा उनके प्रतिनिधि मंडल से सीधी बातचीत के लिए तैयार हैं।
ईमेल और प्रसारण माध्यम का जिक्र
लेटर में यह भी कहा गया है कि बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए नक्सली संगठन ने अपना आधिकारिक ईमेल आईडी जारी कर दिया है। साथ ही सरकार चाहे तो इस पर अपना निर्णय टीवी और रेडियो जैसे सार्वजनिक माध्यमों से भी घोषित कर सकती है।
सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई का असर
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान लगातार तेज हो रहा है। बीते महीनों में कई शीर्ष नक्सली ढेर किए गए हैं और संगठन पर लगातार दबाव बढ़ा है। यही वजह है कि अब पहली बार नक्सली संगठन की केंद्रीय समिति ने हथियार छोड़ने और वार्ता का संकेत दिया है।