
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल (CGBSE) द्वारा इस सत्र से 5वीं और 8वीं कक्षाओं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का आदेश अब निजी स्कूलों और अभिभावकों के लिए मुसीबत बन गया है। इस आदेश के खिलाफ लगाई गई याचिकाओं पर अगली सुनवाई 3 मार्च को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में होगी।
क्या है मामला?
CGBSE से मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में अधिकांशत: निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ाई जा रही हैं, जबकि अब परीक्षा सीजी समग्र एवं मूल्यांकन पैटर्न पर आयोजित की जाएगी। इस आदेश के चलते स्कूलों और अभिभावकों में नाराजगी बढ़ गई है।
निजी स्कूल एसोसिएशन की दलील
निजी स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि उन्होंने पहले ही शिक्षा विभाग को सूचित किया था कि वे अपने छात्रों को सीजी समग्र पाठ्यक्रम और मूल्यांकन पद्धति पर पढ़ा रहे हैं। अब तक इन कक्षाओं में स्कूल स्तर पर ही होम एग्जाम होते थे, लेकिन अब अचानक बोर्ड परीक्षा लागू कर दी गई है, जिससे स्कूलों और विद्यार्थियों पर दबाव बढ़ गया है।
अभिभावकों की चिंता
अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की पूरी पढ़ाई निजी प्रकाशकों की किताबों से हुई है, और अब सीजी बोर्ड के पैटर्न पर परीक्षा देना बच्चों के लिए कठिन हो सकता है। इसलिए उन्होंने भी कोर्ट में याचिका लगाई है।
कोर्ट की प्रतिक्रिया
इस मामले में पहले हुई सुनवाई में शिक्षा विभाग ने समय मांगा था। अब जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने इस मामले में 3 मार्च को एक साथ सभी याचिकाओं पर सुनवाई का आदेश दिया है।
क्या हो सकता है आगे?
अगर हाई कोर्ट निजी स्कूलों और अभिभावकों के पक्ष में फैसला देता है, तो शिक्षा विभाग को परीक्षा व्यवस्था में बदलाव करना पड़ सकता है। वहीं, अगर बोर्ड परीक्षा के आदेश को बरकरार रखा जाता है, तो छात्रों और स्कूलों को नए सिरे से तैयारी करनी होगी।
समीक्षा और राहत की उम्मीद
3 मार्च की सुनवाई में कोर्ट का फैसला तय करेगा कि इस विवाद का क्या समाधान निकलता है। स्कूलों और अभिभावकों को उम्मीद है कि कोर्ट छात्रों के हित में कोई ठोस निर्णय लेगा, ताकि बच्चों की पढ़ाई और परीक्षा प्रक्रिया में किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।