
रायपुर। छत्तीसगढ़ की जैव विविधता के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में, बिलासपुर के कोपरा डैम में पहली बार दुर्लभ पक्षी ब्लैक-नेक्ड ग्रीब (Podiceps nigricollis) देखा गया है। इस खोज को पक्षी विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
14 दिसंबर, 2024 को एक नियमित बर्डवॉचिंग सर्वे के दौरान डॉ. लोकश शरण ने इस अनोखे पक्षी को देखा और इसकी तस्वीरें भी लीं। विशेषज्ञों और वैज्ञानिक स्रोतों से पुष्टि के बाद स्पष्ट हुआ कि यह वास्तव में ब्लैक-नेक्ड ग्रीब ही है। इस खोज के बाद, बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी और शोधकर्ता कोपरा डैम की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
क्या कहती है अध्ययन रिपोर्ट?
अनुराग विश्वकर्मा और उनकी टीम के अध्ययन के अनुसार, कोपरा डैम क्षेत्र में अब तक 113 पक्षी प्रजातियों की मौजूदगी दर्ज की जा चुकी है। इनमें पेंटेड स्टॉर्क, वूली-नेक्ड स्टॉर्क, मिस्र का गिद्ध (Egyptian Vulture), यूरेशियन कर्ल्यू और ब्लैक-टेल्ड गॉडविट जैसी महत्वपूर्ण प्रजातियां शामिल हैं। लेकिन ब्लैक-नेक्ड ग्रीब की मौजूदगी से पक्षी विज्ञानियों की जिज्ञासा और बढ़ गई है।
ब्लैक-नेक्ड ग्रीब: क्या है इसकी खासियत?
पहचान: गहरी लाल आंखें, माथे का उठा हुआ भाग, और सिर पर काले रंग की टोपी जैसी आकृति।
विस्तार क्षेत्र: यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका के ठंडे इलाकों में पाया जाता है।
प्रवास: सर्दियों में भारत के कुछ हिस्सों में प्रवास करता है।
अनूठी आदतें: पानी पर तैरते हुए घोंसले बनाता है। हर साल उड़ने वाले पंख झड़ जाते हैं, जिससे यह 1-2 महीने तक उड़ नहीं पाता।
क्या कोपरा डैम बन सकता है प्रवासी पक्षियों का नया ठिकाना?
बिलासपुर से करीब 12-13 किमी दूर स्थित कोपरा डैम अब सिर्फ सिंचाई और पेयजल स्रोत के रूप में ही नहीं, बल्कि प्रवासी पक्षियों के लिए एक संभावित नए ठिकाने के रूप में देखा जा रहा है। ब्लैक-नेक्ड ग्रीब की मौजूदगी संकेत देती है कि आने वाले समय में यहां और भी दुर्लभ पक्षियों का दस्तावेजीकरण हो सकता है।
वैज्ञानिक शोध में मिली मान्यता
इस खोज को उत्तर प्रदेश जर्नल ऑफ जूलॉजी ने वॉल्यूम-46 में 28 फरवरी 2025 को प्रकाशित किया है। यह शोध प्रकृति शोध एवं संरक्षण सोसाइटी के डॉ. लोकेश शरण और प्रतीक ठाकुर ने लिखा है।
प्रकृति प्रेमियों के लिए सुनहरा अवसर
विशेषज्ञों का मानना है कि कोपरा डैम और इसके आसपास के क्षेत्र आने वाले वर्षों में प्रवासी पक्षियों के अध्ययन का एक प्रमुख केंद्र बन सकते हैं। छत्तीसगढ़ अब बर्डवॉचिंग के एक नए गंतव्य के रूप में उभरने की ओर अग्रसर है।