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छत्तीसगढ़ बड़ी खबर : जय और वीरू के बीच दरार की बात झूठी, एक तस्वीर ने साफ किया सबकुछ ..

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से सरगुजा संभाग के सम्मेलन में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने गले-शिकवे दूर होने का संदेश दिया. कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया कि कांग्रेस में कोई पद नहीं मिलेगा तो भी वे कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने ढाई-ढाई साल की बात को सिर्फ ‘बात’ बताया. इसके बाद सम्मेलन स्थल से बाहर सीएम भूपेश बघेल के साथ गले मिले. उनकी पीठ थपथपाई. छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा भी साथ ही खड़ी थीं. उन्होंने कहा कि सब मिलकर चलेंगे. इसके बाद जोरदार ठहाके लगे. इस तरह अंबिकापुर में कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन की हैप्पी एंडिंग की पटकथा पूरी हुई.

राजधानी रायपुर में सीएम हाउस में छत्तीसगढ़ प्रभारी सैलजा के साथ सीएम बघेल, स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव, विधानसभा स्पीकर डॉ. चरणदास महंत, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम की मौजूदगी में जो बैठक हुई थी, उसका संदेश करीब महीनेभर बाद सरगुजा में स्पष्ट हो गया. बैठक के संबंध में जो बातें आई थी, उसमें एक बात यह भी थी कि सैलजा ने सबको साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर जोर दिया था. इस पर सभी सहमत भी थे. खासकर बयानों में जो अलगाव या नाराजगी नजर आती थी, उसे बंद करने कहा गया. इसके बाद से संभागीय सम्मेलनों में स्पीकर डॉ. महंत साथ-साथ नजर आए. बस्तर से सम्मेलन की शुरुआत हुई. इसके बाद बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर के बाद अंबिकापुर में सम्मेलन का समापन हुआ.

सम्मेलन से पहले सीएम बघेल और सिंहदेव युवाओं को नियुक्ति पत्र और वन अधिकार पट्टा वितरण कार्यक्रम में शामिल हुए. इसके बाद सर्किट हाउस से सीएम की गाड़ी में साथ-साथ संभागीय सम्मेलन स्थल होटल पर्पल आर्किड पहुंचे. गाड़ी से एक तरफ से सीएम उतरे और दूसरी ओर से सिंहदेव. इसके जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई कि वे साथ-साथ ही हैं. अपने भाषण में सिंहदेव ने भी यह स्पष्ट कर दिया कि वे साथ-साथ हैं. कभी भी सीएम ने उनके सम्मान में कोई कमी नहीं की. न ही दोनों के बीच कोई दूरी है. यह सुनकर वहां मौजूद कार्यकर्ताओं ने जोरदार तालियां बजाईं.

सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अजीत जोगी के सीएम बनने से लेकर 2018 में सीएम की दावेदारी के संबंध में कार्यकर्ताओं से बात की. उन्होंने बताया कि उस समय महेंद्र कर्मा और अजीत जोगी दावेदार थे. उस समय वे किसी पद मंं नहीं थे, लेकिन इसका हिस्सा थे. बाद में वे नेता प्रतिपक्ष बने. इसके लिए उन्होंने डॉ. महंत और सीएम बघेल को भी श्रेय दिया. 2018 में सीएम की दावेदारी को लेकर उन्होंने बताया कि चार लोगों को बुलाया गया था. इनमें से भूपेश भाई का नाम तय हुआ था. ढाई-ढाई साल की बात मीडिया में आती हैं.

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

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