
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) के 411 करोड़ रुपये के उपकरण खरीद घोटाले में गिरफ्तार मोक्षित कार्पोरेशन के निदेशक शशांक चोपड़ा की जमानत याचिका को आज खारिज कर दिया गया। एसीबी और ईओडब्ल्यू द्वारा की गई जांच में शशांक की भूमिका की पुष्टि होने के बाद, अदालत ने उनकी जमानत याचिका अस्वीकार कर दी है।
जमानत याचिका खारिज करने के बाद, शशांक को अब न्यायिक हिरासत में रखा जाएगा। इस मामले में मोक्षित कार्पोरेशन और अन्य कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिन पर आरोप है कि उन्होंने टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की और लाखों रुपये के उपकरणों की खरीदारी की। शशांक पर आरोप है कि उन्होंने अपने संपर्कों का इस्तेमाल करते हुए रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स और श्री शारदा इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया।
जमानत याचिका पर न्यायालय का निर्णय –
उप महाधिवक्ता डॉ. सौरभ पांडेय ने अदालत में कहा था कि शशांक और उनकी कंपनियों के बीच रिश्ता पहले से ही मधुर था और इस घोटाले में उनकी भूमिका अहम रही है। इसके बाद अदालत ने शशांक की जमानत याचिका खारिज कर दी।
जांच जारी, अन्य आरोपी भी होंगे गिरफ्तार –
अधिकारियों ने बताया कि इस मामले की जांच जारी है और अन्य आरोपी कर्मचारियों, प्रमोटरों और निदेशकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है। घोटाले के तहत किए गए नुकसान और गड़बड़ियों को लेकर प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा।