cycles Distribution :सरस्वती साइकिल योजना के तहत छात्राओं को साइकिल वितरण

नगरी — छत्तीसगढ़ के नगरी क्षेत्र के शासकीय शीतला देवी हाई स्कूल घटुला में सरस्वती साइकिल योजना के तहत छात्राओं को साइकिलें वितरित की गईं। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जनपद पंचायत नगरी की सभापति प्रेमलता नागवंशी रही, जिन्होंने इस योजना की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका उद्देश्य बालिकाओं को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करना और उनके उज्ज्वल भविष्य के मार्ग खोलना है। उन्होंने इसे मुख्यमंत्री विष्णुदेव सरकार की एक सराहनीय पहल बताया।
इस अवसर पर शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र मिश्रा, भाजपा मंडल महामंत्री मोनू साहू, उप सरपंच वेदराम साहू, सहकारी समिति के अध्यक्ष खुशीराम नाग, प्राचार्य राजेश कश्यप, कीर्ति कुमार साहू, धर्मेंद्र कोरे सहित अन्य जनप्रतिनिधि, छात्र-छात्राएं और विद्यालय स्टाफ उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन उत्साहपूर्ण माहौल में किया गया और छात्राओं ने साइकिल प्राप्ति पर खुशी जाहिर की।
नगरी के ग्राम खुनंदनी में महिलाओं को मखाना खेती का प्रशिक्षण
वहीं, नगरी के ग्राम खुनंदनी के जय मां विंध्यवासिनी स्व सहायता समूह की महिलाओं को मखाना खेती का प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। यह प्रशिक्षण दाऊ ओंकार सिंह ठाकुर के तालाब में आयोजित हुआ, जिसमें इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर और पीएचडी शोधार्थी एकानंद ढीमर (कीट विज्ञान विभाग) ने महिलाओं को मखाना उत्पादन की संपूर्ण प्रक्रिया समझाई।
मखाना खेती से महिलाओं को मिलेगा स्वरोजगार
जनवरी 2024 में एकानंद ढीमर ने बालोद अंचल में तालाब की सफाई और समतलीकरण कर मखाना खेती शुरू की थी, जो अब पूरी तरह से फल-फूल रही है। इसका उद्देश्य इस खेती को व्यापक रूप से फैलाकर किसानों और महिला स्व सहायता समूहों को स्वरोजगार से जोड़ना है।
प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को भूमि चयन, बीज निकालने, प्रसंस्करण, फसल की गुणवत्ता और पौधे की बनावट के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इस अवसर पर महिलाओं ने अपने गांव के तालाबों में मखाना खेती करने की इच्छा भी व्यक्त की।
मखाना खेती से हो सकता है आर्थिक लाभ
एकानंद ढीमर ने बताया कि मखाना की रोपाई दिसंबर से फरवरी के बीच की जाती है, जिसमें 1.5 से 2 फीट पानी की आवश्यकता होती है। प्रति एकड़ खेती से 8 से 10 क्विंटल उत्पादन होता है, जिससे किसानों को लगभग 80 हजार रुपये का शुद्ध लाभ हो सकता है। दाऊ ओंकार सिंह ठाकुर ने भी अपने अन्य तालाबों और खेतों में मखाना खेती करने का संकल्प लिया है।



