
बिलासपुर: जिले में गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा जैसे प्रमुख त्योहारों से पहले डीजे साउंड सिस्टम पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर बवाल मच गया है। जिला प्रशासन ने ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से डीजे बजाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले से डीजे संचालक आक्रोशित हैं और इसे अपनी रोजी-रोटी पर सीधा हमला मान रहे हैं।
क्या है प्रशासन का आदेश?
प्रशासन ने हाईकोर्ट के निर्देश और कोलाहल नियंत्रण अधिनियम का हवाला देते हुए 50 डेसिबल से अधिक ध्वनि वाले साउंड सिस्टम के उपयोग पर रोक लगाई है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि नियम तोड़ने पर न सिर्फ जुर्माना लगेगा, बल्कि डीजे उपकरण भी जब्त किए जाएंगे। प्रशासन का कहना है कि त्योहारों के दौरान कानून व्यवस्था और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए यह कदम जरूरी है।
डीजे संचालकों का गुस्सा
डीजे व्यवसायियों ने प्रशासन के निर्णय को एकतरफा बताया है। उनका कहना है कि त्योहारों का सीजन उनके लिए सबसे बड़ा व्यवसायिक अवसर होता है, और ऐसे समय में पूर्ण प्रतिबंध लगाने से उनका पूरा साल प्रभावित हो जाएगा। उन्होंने मांग की है कि प्रशासन कोई व्यावहारिक समाधान निकाले, जिसमें ध्वनि सीमा का पालन करते हुए डीजे संचालन की अनुमति दी जा सके।
जनभावनाओं पर असर
बिलासपुर की जनता भी असमंजस में है। एक ओर वे कानून का पालन करना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर वे त्योहारों की रौनक में डीजे की धुन को जरूरी मानते हैं। आयोजक भी इस दुविधा में हैं कि अब कार्यक्रमों को कैसे सजाया जाए।