जीएसटी 2.0 आज से लागू : जानिए क्या हुआ सस्ता और क्या महंगा…

नई दिल्ली: भारत में टैक्स प्रणाली के इतिहास में आज एक बड़ा बदलाव हुआ है। केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया नया गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST 2.0) आज से पूरे देश में प्रभावी हो गया है। इसका उद्देश्य टैक्स ढांचे को सरल बनाना, आम जनता को राहत देना और देश की आर्थिक व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी बनाना है।
सरल टैक्स स्लैब और जीरो टैक्स का लाभ
जीएसटी परिषद ने सितंबर की शुरुआत में इस नई व्यवस्था को मंजूरी दी थी और अब इसका असर बाजारों में साफ नजर आ रहा है। सरकार इसे ‘जीएसटी बचत उत्सव’ के रूप में प्रचारित कर रही है, खासकर नवरात्रि के शुभ अवसर पर, ताकि स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा मिल सके।
इस नई व्यवस्था के तहत कई जरूरी वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दर शून्य कर दी गई है। अब पनीर, दूध, ब्रेड, स्टेशनरी, जीवन रक्षक दवाएं, और शैक्षिक सेवाएं (जैसे ट्यूशन व कोचिंग) पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। पहले इन पर 5% से 18% तक टैक्स लगाया जाता था।
स्वास्थ्य, शिक्षा और घरेलू उपयोग की वस्तुएं हुईं सस्ती
अब से मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन, चैरिटेबल अस्पताल सेवाएं, वोकेशनल ट्रेनिंग और कौशल विकास पाठ्यक्रमों पर लगने वाला टैक्स शून्य कर दिया गया है। इसके साथ ही, स्टेशनरी आइटम्स जैसे कॉपी, नोटबुक, पेंसिल, शार्पनर आदि पर भी अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। यह कदम खासतौर पर छात्रों और अभिभावकों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।
इलेक्ट्रॉनिक सामान और वाहन भी हुए सस्ते
अब एसी, फ्रिज जैसे घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर जीएसटी घटाकर 18% कर दिया गया है, जो पहले 28% था। इसी तरह, दोपहिया और चारपहिया वाहनों पर भी टैक्स में कटौती की गई है।
350 सीसी और उससे कम की बाइक पर अब 18% जीएसटी लगेगा (पहले 28%)
1,200 सीसी तक की पेट्रोल कारें और 1,500 सीसी तक की डीजल कारें (4 मीटर से छोटी) पर भी टैक्स घटाकर 18% कर दिया गया है
जबकि इससे बड़े सेगमेंट की गाड़ियों पर 40% टैक्स जारी रहेगा (पहले करीब 50% था)
कुछ उत्पादों पर टैक्स में कोई बदलाव नहीं
सरकार ने पेट्रोल और डीजल को अब भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है, इसलिए इनकी कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं, तंबाकू, बीड़ी और पान मसाला जैसे उत्पादों पर 40% टैक्स जारी रहेगा।
जनता को राहत, बाजारों में बढ़ी रौनक
जीएसटी 2.0 के लागू होने से न केवल आम जनता को रोजमर्रा की चीजों पर राहत मिलेगी, बल्कि इससे बाजारों में मांग भी बढ़ेगी। सरकार का मानना है कि यह कदम आर्थिक विकास को गति देगा और टैक्स अनुपालन को भी बेहतर बनाएगा।