
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपोलो हास्पिटल के चार डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला और चार्जशीट को निरस्त कर दिया है। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने कहा कि जब राज्य मेडिकल बोर्ड ने डॉक्टरों को क्लीन चिट दे दी है और चिकित्सकीय लापरवाही की पुष्टि नहीं हुई है, तो FIR और आरोप पत्र जारी करना उचित नहीं।
यह मामला 2016 में दयालबंद निवासी एक युवक की मौत से जुड़ा है। युवक को 25 दिसंबर 2016 को अपोलो हास्पिटल में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था, जहां 26 दिसंबर को मल्टीपल आर्गन फेल्योर के कारण उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम 27 दिसंबर को किया गया, लेकिन विसरा परीक्षण काफी देरी से जनवरी 2019 में हुआ। रासायनिक रिपोर्ट में कोई जहरीला पदार्थ नहीं पाया गया।
पुलिस ने डॉक्टर सुनील कुमार केडिया, देवेंद्र सिंह, राजीव लोचन भांजा और मनोज कुमार राय के खिलाफ IPC की धारा 304A (गैर-इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज किया था। हालांकि, राज्य मेडिकल बोर्ड ने 2023 में पांच विशेषज्ञों की टीम के साथ जांच कर स्पष्ट किया कि किसी भी डॉक्टर की लापरवाही नहीं पाई गई।
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल तकनीकी कमियों के आधार पर आपराधिक लापरवाही का मामला बनाना उचित नहीं है। इसलिए कोर्ट ने डॉक्टरों के खिलाफ FIR और चार्जशीट दोनों को रद्द कर दिया।
इस फैसले से डॉक्टरों को बड़ी राहत मिली है, वहीं चिकित्सा पेशे के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है।