छत्तीसगढ़ में छठ महापर्व की छटा: हजारों श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य

जगदलपुर के गंगामुंडा तालाब पर रविवार की संध्या छठ महापर्व के अवसर पर आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए हजारों व्रती महिलाएँ और श्रद्धालु घाटों पर पहुंचे। मातृशक्तियाँ पारंपरिक वेशभूषा में बांस के सुपा में पूजा सामग्री लेकर कमर तक जल में उतरीं और भगवान भास्कर को जल व दूध से अर्घ्य अर्पित किया।
भोजपुरी भजनों की मधुर धुनें और “छठ मइया की जय” के नारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। पुरुष सदस्य भी फल, गन्ना, शक्करकंद, नींबू और नारियल जैसी पूजा सामग्री से भरे टोकरे लेकर घाट तक पहुंचे, जहां परिवार की अन्य महिलाएँ दीपक जलाकर पूजन में लीन थीं।
गंगामुंडा घाट पर अद्भुत सजावट और सुरक्षा व्यवस्था
गंगामुंडा घाट को निगम प्रशासन ने 20 दिन पहले से विशेष रूप से सजाया था। महापौर संजय पांडे और स्वच्छता समिति के सभापति लक्ष्मण झा के नेतृत्व में घाट को आकर्षक रूप दिया गया। मुख्य तट पर रेड कार्पेट बिछाया गया था, वहीं रंगीन रोशनी और साज-सज्जा से पूरा क्षेत्र जगमगा उठा।
घाट पर 3100 दीप जलाकर श्रद्धालुओं ने छठ मइया का स्वागत किया। जल में झिलमिलाते दीपों का दृश्य अद्भुत था। वहीं, सुरक्षा के मद्देनज़र महिला और पुरुष पुलिसकर्मी तैनात थे, जबकि एसडीआरएफ के गोताखोर किसी भी आपात स्थिति के लिए मुस्तैद रहे। आतिशबाजी ने शाम के माहौल को और भव्य बना दिया।
जनप्रतिनिधियों ने दी शुभकामनाएँ
छठ पर्व के इस पावन अवसर पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं विधायक किरण देव, सांसद महेश कश्यप, पूर्व विधायक रेखचंद जैन समेत भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के जनप्रतिनिधि घाट पहुंचे और श्रद्धालुओं को शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने छठ पर्व को “सांस्कृतिक एकता, स्वच्छता और सामूहिक आस्था का प्रतीक” बताया।
अन्य घाटों पर भी उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
गंगामुंडा तालाब के साथ ही दलपत सागर और इन्द्रावती नदी के महादेव घाट पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। व्रती महिलाओं ने परिवार की सुख-शांति, आरोग्य और समृद्धि की कामना करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से आए श्रद्धालुओं ने भी पारंपरिक विधि से पूजा कर अपनी आस्था व्यक्त की।
आज उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ होगा समापन
सोमवार की सुबह व्रती महिलाएँ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगी, जिसके साथ चार दिनों तक चलने वाले इस महान लोकपर्व का समापन होगा। प्रशासन ने भोर की पूजा के लिए विशेष प्रकाश व्यवस्था, सफाई और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए हैं। जब भोर की पहली किरण के साथ व्रती महिलाएँ जल में उतरेंगी, तो पूरा शहर आस्था और भक्ति के रंग में रंग जाएगा।



