राष्ट्रपति मुर्मू का अंबिकापुर दौरा: जनजातीय गौरव दिवस का शुभारंभ किया, कई योजनाओं का किया लोकार्पण

अंबिकापुर में आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दीप प्रज्ज्वलित कर जनजातीय गौरव दिवस का औपचारिक शुभारंभ किया। बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर आयोजित इस राज्यस्तरीय कार्यक्रम में उन्होंने जनजातीय समुदाय की संस्कृति, परंपराओं और पहचान को सशक्त बनाने वाली कई योजनाओं की घोषणा की। यह पिछले 8 महीनों में उनका दूसरा छत्तीसगढ़ दौरा है, जिससे कार्यक्रम का महत्व और अधिक बढ़ गया।
वैद्यों और जनजातीय देवस्थलों के लिए नई पहल
राष्ट्रपति मुर्मू ने पारंपरिक जनजातीय स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के उद्देश्य से वैद्यों के लिए विशेष योजना की शुरुआत की। साथ ही प्रदेश के प्रमुख जनजातीय देवस्थलों के संरक्षण और विकास से जुड़ी योजनाओं को भी हरी झंडी दिखाई। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने उस ‘बसंत पंडो’ से मिलने का भी निर्णय लिया, जिसे लगभग 70 साल पहले प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने हाथों में उठाकर नाम दिया था। अब बसंत पंडो 80 वर्ष के हो चुके हैं।
भव्य आयोजन में बड़ी संख्या में मौजूद रहे लोग
अंबिकापुर के पीजी कॉलेज मैदान में आयोजित इस विशाल समारोह में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओरांव, राज्यमंत्री दुर्गा दास उइके और तोखन साहू समेत कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मू रायपुर में आयोजित विधानसभा के रजत जयंती समारोह में शामिल हुई थीं।
जनजातीय लोक नृत्य महोत्सव बना कार्यक्रम का आकर्षण
जनजातीय गौरव दिवस के पहले दिन प्रदेश स्तरीय लोक नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया। विभिन्न जिलों से आए पारंपरिक नर्तक दलों ने अपने आकर्षक प्रदर्शन से दर्शकों का मन मोह लिया। इस प्रतियोगिता के विजेताओं को आगामी मुख्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
इतिहास से जुड़ा विशेष क्षण
राष्ट्रपति मुर्मू सरगुजा आने वाली देश की दूसरी राष्ट्रपति बन गई हैं। इससे पहले 1952 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद यहां पहुंचे थे। राष्ट्रपति मुर्मू उनके उसी ऐतिहासिक दौरे को स्मरण करते हुए ‘बसंत पंडो’ से मुलाकात करेंगी, जो उस समय डॉ. प्रसाद की गोद में उठाया गया था।



