बस्तर में 11 महीने से अटकी CRMC राशि: स्वास्थ्यकर्मियों का फूटा आक्रोश, काला रिबन पहनकर जताया विरोध

बस्तर संभाग में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेवाएँ दे रहे स्वास्थ्यकर्मियों की 11 महीने से लंबित CRMC प्रोत्साहन राशि का मुद्दा अब तेज़ी से गरमाने लगा है। नारायणपुर से शुरू हुआ यह आंदोलन बुधवार को पूरे बस्तर के छह जिलों—नारायणपुर, कोंडागांव, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और बस्तर (जगदलपुर)—में फैल गया। डॉक्टरों, नर्सों, ANM और RMA ने सामूहिक रूप से काला रिबन लगाकर कार्यस्थलों पर पहुँचकर सरकार को सख्त संकेत दिए।
जोखिम भरे क्षेत्रों में काम, फिर भी करोड़ों की राशि लंबित
नक्सल प्रभावित इलाकों में खतरों के बीच काम करने वाले इन स्वास्थ्यकर्मियों की प्रोत्साहन राशि महीनों से बकाया पड़ी है। प्रत्येक डॉक्टर पर 2.5–3 लाख रुपये तक बकाया, नर्सों पर 30,000–40,000 रुपये तक लंबित, बस्तर संभाग में कुल बकाया रकम कई करोड़ रुपये बताई जा रही है।
मंत्रियों व अधिकारियों से कई बैठकें, लेकिन नतीजा शून्य
इस मुद्दे पर कई स्तरों पर बैठकें हो चुकी हैं। चर्चा में शामिल रहे— कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया, DHS कमिश्नर, MD-NHM डॉ. प्रियंका जे. शुक्ला नारायणपुर के डॉक्टरों ने पहले मंत्री केदार कश्यप से मुलाकात की थी और उन्होंने संबंधित अधिकारियों से बात कर समाधान का आश्वासन दिया था। लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय सामने नहीं आया है। यही कारण है कि आंदोलन अब पूरे बस्तर में फैल गया है।
काला रिबन का शांत विरोध, लेकिन चेतावनी बहुत स्पष्ट
25 नवंबर को सभी जिलों के अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मियों ने ब्लैक रिबन लगाकर अपनी नाराजगी जताई। OPD और आपात सेवाएँ जारी रहीं, लेकिन संदेश साफ था— “हम जनता के नहीं, व्यवस्था की विफलता के खिलाफ हैं।” स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि नक्सल क्षेत्रों में जान जोखिम में डालकर काम करने वालों को 11 महीने तक प्रोत्साहन राशि न देना सीधा अन्याय है।
1 दिसम्बर से OPD बंद करने की चेतावनी
नारायणपुर जिले ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि 30 नवंबर तक भुगतान नहीं हुआ, तो 1 दिसम्बर 2025 से संभाग-स्तर पर OPD सेवाएँ बंद कर दी जाएँगी।



