प्रशासन पर प्रताड़ना का आरोप लगा कर्मचारी की पत्नी बैठी बेमियादी भूख हड़ताल पर
नरेंद्र जगते की रिपोर्ट
सूरजपुर- विभागीय जांच के दौरान नियम विरुद्ध तरीके से चुनाव में ड्यूटी लगा देने और ड्यूटी न करने पर निलंबन की कार्यवाही करते हुए वेतन रोक देने के बाद परिवार के सामने भूखे मरने की नौबत आने पर आदिवासी कर्मचारी के आश्रित परिवार ने आज से रंगमंच मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी। जिले में इस तरह का संभवतः यह पहला मामला है। जब कर्मचारी की पत्नी और भाई को भूख हड़ताल करने की नौबत आई हो।गौरतलब है कि जिले के ओड़गी तहसील कार्यालय में कार्यरत सहायक ग्रेड 3 हेमंत कुमार नेताम पिछले 6-7 माह से प्रशासनिक प्रताड़ना का शिकार हो गया है। किसी मामले को लेकर उसके विरुद्ध विभागीय जांच शुरू कर दी गई है, और इसी दौरान उसकी विधानसभा चुनाव में ड्यूटी भी लगा दी गई। हेमंत का कहना है, कि विभागीय जांच के दौरान चुनाव कार्य में ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती। इसी नियम के तहत उसने चुनाव ड्यूटी से इंकार कर दिया। जिसकी जानकारी प्रतिवेदन के माध्यम से उन्होंने विभाग प्रमुख और कलेक्टर को भी दी, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम को संज्ञान में लेकर निराकरण करने की बजाय हद तो तब हो गई। जब हेमंत कुमार नेताम को सस्पेंड कर दिया गया। सस्पेंड के दौरान उसे वेतन से भी वंचित कर दिया गया। पिछले 6-7 महीने से वेतन न मिलने के कारण हेमंत नेताम के साथ-साथ उसकी पत्नी यशोदा नेताम और परिवार के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई।
विभाग के मुखिया ने भी नहीं सुनी इसलिए शुरू की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल
राजस्व विभाग में सहायक ग्रेड 3 के पद पर पदस्थ हेमंत कुमार नेताम की पत्नी यशोदा नेताम का कहना है, कि उनके पति ने सभी विभाग प्रमुखों के साथ-साथ जिले के कलेक्टर से भी पत्राचार किया और न्याय की गुहार लगाई लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। कभी-कभी तो मेरे पति के दिमाग में बुरे ख्याल आते हैं और कुछ करना लें इसकी चिंता पूरे परिवार को सताती है। न्याय मांगना प्रत्येक कर्मचारी और व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। इसी न्याय के लिए वह भूख हड़ताल कर रही हैं, ताकि जल्दी न्याय मिले और प्रशासनिक प्रताड़ना से मुक्ति भी मिल जाए।
न्याय मिलते तक जारी रहेगी भूख हड़ताल
कर्मचारी हेमंत नेताम की पत्नी यशोदा नेताम और छोटा भाई रवि नेताम का कहना है कि भूख हड़ताल का निर्णय काफी सोच समझ कर लिया गया है। किसी को भी इस तरह हड़ताल में जाना अच्छा नहीं लगता। हमारी मजबूरी को प्रशासन समझे और त्वरित न्याय करें, अन्यथा न्याय मिलने तक यह अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी रहेगी।