रायपुर। स्वास्थ्य कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने के खिलाफ छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन ने मोर्चा खोल दिया है। आंदोलनरत स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को निलंबित अथवा बर्खास्त करने की कार्यवाही को छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने लोकतंत्र की हत्या निरूपित किया है। फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा, सचिव राजेश चटर्जी और प्रवक्ता चंद्रशेखर तिवारी का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी विगत वर्षों से अपने सेवालाभ एवं सुविधाओं में सुधार की मांग कर रहे हैं। कोरोना योद्धाओं के अलंकार से सम्मानित स्वास्थ्य कर्मचारियों को निलंबित अथवा बर्खास्त करना अमानवीय कृत्य की पराकाष्ठा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी राज्य सरकार के लोकतांत्रिक छबि को दमनकारी बनाने का कृत्य कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों पर हो रहे दमनात्मक कार्यवाही के विरोध में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन 4 सितंबर सोमवार से प्रदेशव्यापी विरोध का शंखनाद कर रहा है। स्वास्थ्य कर्मचारियों के निलंबन एवं बर्खास्तगी को वापस लेने प्रथम चरण में सभी जिला मुख्यालय में कलेक्टर एवं ब्लॉक मुख्यालय में एस डी एम को ज्ञापन दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि,छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन के बैनर तले स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी 13 दिनों से धरना स्थल तूता में प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार को समाधान के दिशा में पहल करने था।लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लोक स्वास्थ्य सेवक के विरुद्ध दमनात्मक कार्यवाही किया जाना छत्तीसगढ़ के इतिहास में किसी भी विभाग के कर्मचारियों पर हो रही यह कार्यवाही सबसे बड़ी कार्यवाही है । वेतन विसंगति समेत पांच मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे जिले के स्वास्थ्य कर्मचारी सहित प्रदेश भर के कई स्वास्थ्य कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है । छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन के तत्वाधान में अपनी मांगों को लेकर किया जा रहे हैं हड़ताल को छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा दमनात्मक कार्रवाई कर कुचला जा रहा है,यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के विरुद्ध है। यदि स्वास्थ्य कर्मचारियों के विरुद्ध किये गए दमनकारी कार्यवाही को सरकार ने वापस नहीं लिया तो फेडरेशन राज्यव्यापी अनशन करेगा।