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छत्तीसगढ़ बड़ी खबर : वेलकम डिस्टलरी पर प्रदूषण का आरोप, सालभर में तीन बार लगा जुर्माना

रायपुर। वेलकम डिस्‍टलरी से होने वाले प्रदूषण के मुद्दा आज विधानसभा में उठा। आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि शिकायतों के आधार पर सालभर में तीन बार डिस्‍टलरी पर जुर्माना किया जा चुका है। एक बार तीन लाख 90 हजार और दो बार 9- 9 लाख रुपये का जुर्माना किया जा चुका है।

इस पर अटल श्रीवास्‍तव ने कहा कि केवल फाइन लगाने से प्रदूषण नियंत्रित नहीं होगा। उन्‍होंने कहा कि डिस्‍टलरी का पूरा क्षेत्र पेसा कानून के दायरे में आता है। डिस्‍टलरी वाले अपशिष्‍ठ खेतों में फेंक देते हैं इससे किसानों को नुसकान हो रहा है। गंध की वजह से बच्‍चे स्‍कूल नहीं जा पा रहे हैं। इस पर मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि समय- समय पर निरीक्षण किया जाता है। इस दौरान मानको का उल्‍लंघन पाए जाने पर नियमानुसार जुर्माना की कार्रवाई की जाती है। इस पर असंतोष जाहिर करते हुए श्रीवास्‍तव ने विधायकों की कमेटी से जांच कराने की मांग की। वहीं, उमेश पटेल ने निरीक्षण के दौरान क्षेत्रीय विधायक अटल श्रीवास्‍ताव को भी लेकर जाने की मांग की।

अटल श्रीवास्‍तव के सवाल के जवाब में मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि भारत सरकार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा मेसर्सवेलकम डिस्टलरीज़ प्राईवेट लिमिटेड, ग्राम-छेरकाबांधा, तहसील-कोटा, जिला-बिलासपुर को क्षमता विस्तार के तहत् डिस्टलरी यूनिट 10 किलोलीटर प्रतिदिन से 60 किलोलीटर प्रतिदिन के लिए 10/03/2004 को पर्यावरणीय स्वीकृतिजारी की गई थी। इस पर्यावरणीय स्वीकृति में चिमनी से उत्सर्जन एवं उपचारित दूषित की गुणवत्ता निर्धारित मानक के अनुरूप रखने, स्पेंटवाश का बायो मिथेनेशन डाईजेस्टर, एक्टिवेड स्लज प्रोसेस एवं कम्पोटिंग के माध्यम से उपचारित कर उपयोग किये जाने, जल एवं मृदा गुणवत्ता का परिमापन आदि शर्ते शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने उद्योग को वर्तमान उत्पादन क्षमता रेक्टीफाईड स्प्रीट 30 किलोलीटर प्रतिदिन के लिए जल (प्रदूषणनिवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 25 और वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 21 के तहत् संचालन सम्मति 04/01/2012 को जारी की गई है। सम्मति पत्र में उपचारित दूषित की गुणवत्ता निर्धारित मानक सीमा के अनुरूप रखने, बायो कम्पोटिंग के माध्यम से उपचारित किये जाने, शून्य निस्सारण की स्थिति बनायेरखने, चिमनी से उत्सर्जन निर्धारित मानक सीमा के अनुरूप रखने, परीवेशीय वायु गुणवत्ता निर्धारित मानक सीमा के अनुरूप रखने एवं जल एवं मृदा गुणवत्ता का परिमापन, ठोस अपशिष्टों स्लज आदि का वैज्ञानिक विधि से समुचित अपवहन, वृक्षारोपण करनेआदि शर्त शामिल है।

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

Ashok Kumar Sahu

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