
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले की जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। उन्होंने बताया कि अगली राष्ट्रीय जनगणना में जातियों की भी गिनती की जाएगी, जिससे देश के सामाजिक ढांचे की अधिक स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी।
CCPA की बैठक में लिया गया ऐतिहासिक फैसला
CCPA, जिसे ‘सुपर कैबिनेट’ भी कहा जाता है, ने इस निर्णय को मंजूरी दी है। इस समिति के प्रमुख प्रधानमंत्री मोदी हैं और इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल जैसे वरिष्ठ मंत्री शामिल हैं।
सरकार ने विपक्ष पर साधा निशाना
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा “कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति जनगणना को केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए इस्तेमाल किया है। 2010 में कांग्रेस सरकार ने जाति जनगणना की मांग को टाल दिया था जबकि सभी दल इसकी सिफारिश कर रहे थे।”
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर जातिगत सर्वेक्षण किए, लेकिन ये पारदर्शी नहीं थे और राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रेरित थे, जिससे समाज में संदेह की स्थिति बनी।
“अब यह आवश्यक है कि जातियों की गणना सर्वेक्षण के बजाय राष्ट्रीय जनगणना के हिस्से के रूप में हो।”
जातिगत जनगणना क्या होती है?
जातिगत जनगणना का मतलब है – देश में जब जनगणना हो, तो उसमें लोगों की जाति की भी जानकारी ली जाए। इससे समाज के भीतर जातिगत संरचना का पता चलेगा, जिससे नीति निर्माण, आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं की दिशा तय करने में मदद मिलेगी।
गौरतलब है कि बिहार सरकार पहले ही राज्य स्तर पर जातिगत जनगणना करा चुकी है, जिसे लेकर केंद्र सरकार पर विपक्ष लगातार दबाव बना रहा था।
विपक्ष की पुरानी मांग पर केंद्र का फैसला
विपक्ष, खासकर कांग्रेस और राहुल गांधी, लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मांग करते रहे हैं। अब केंद्र सरकार के इस फैसले को राजनीतिक लिहाज़ से एक बड़ा यू-टर्न माना जा रहा है, जिस पर आने वाले दिनों में और भी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आने की संभावना है।



