कोयला उद्योग के कर्मचारी 9 जुलाई की देशव्यापी हड़ताल के लिए तैयार गेवरा में हुई गेट मीटिंग
गेवरा श्रमिक चौक में सैकड़ों मजदूरों ने दिखाई एकजुटता

@सुशील तिवारी 9926176119
देशभर में 9 जुलाई को होने वाली कोयला उद्योग की प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल की तैयारियाँ अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी हैं। इसी कड़ी में आज सुबह 7:30 बजे गेवरा प्रोजेक्ट के श्रमिक चौक में संयुक्त श्रमिक संगठनों द्वारा एक विशाल गेट मीटिंग का आयोजन किया गया, जिसमें विभागीय और ठेकाकर्मी मजदूरों की भारी उपस्थिति देखी गई।
आज की गेट मीटिंग में केंद्रीय संयुक्त श्रम संगठन के पदाधिकारियों ने भाग लिया और केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों की तीखी आलोचना की। नेताओं ने कहा कि केंद्र द्वारा लाए गए चार श्रम संहिताएं (Labour Codes) — जिनमें वेतन संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यवसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता शामिल हैं — मजदूरों के अधिकारों और सुरक्षा को छीनने की साज़िश है।
श्रमिक नेताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि नई श्रम संहिताएं श्रमिक विरोधी, कॉर्पोरेट समर्थक और शोषणकारी हैं। इनमें स्थायी रोजगार, बोनस, ओवरटाइम, हड़ताल के अधिकार और यूनियन की मान्यता जैसे बुनियादी अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास किया गया है।
बैठक के मुख्य बिंदु इस प्रकार रहे:
9 जुलाई को कोयला उद्योग की पूर्णतः बंद हड़ताल सुनिश्चित की जाएगी।
सभी श्रमिकों से अपील की गई कि वे अपने कार्यस्थलों से दूर रहकर आंदोलन को ताक़त दें।
सरकार से मांग की गई कि श्रम संहिताओं को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
निजीकरण, ठेकाकरण और मज़दूरों की छँटनी जैसी नीतियों का पुरज़ोर विरोध किया गया।
बैठक के दौरान मजदूरों ने “श्रम विरोधी कानून वापस लो”, “ठेका प्रथा बंद करो”, “मज़दूर एकता ज़िंदाबाद” जैसे गगनभेदी नारों के साथ विरोध दर्ज कराया। गेट मीटिंग में बोलते हुए शीर्ष के पदाधिकारियों ने चेताया कि यदि सरकार ने शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए तो देशव्यापी आंदोलन और भी उग्र रूप लेगा।
कार्यक्रम का संचालन केंद्रीय संयुक्त श्रम संगठन के द्वारा किया गया, और हज़ारों की संख्या में उपस्थित मजदूरों की एकता और जोश ने यह स्पष्ट कर दिया कि 9 जुलाई की हड़ताल सिर्फ एक दिन का विरोध नहीं, बल्कि मज़दूर आंदोलन के इतिहास में एक नई चेतना की शुरुआत हो सकती है।