बस्तरिया राज मोर्चा ने बोधघाट और कोट्टागुडम रेल परियोजना का किया विरोध, आंदोलन की दी चेतावनी

बस्तर क्षेत्र में बोधघाट परियोजना और कोट्टागुडम-किरंदुल रेल परियोजना को लेकर बस्तरिया राज मोर्चा ने कड़ा विरोध जताया है। मोर्चा के नेता मनीष कुंजाम ने कहा कि इन दोनों परियोजनाओं को प्रभावित ग्रामीणों की सहमति के बिना लागू किया जा रहा है, जो बस्तरवासियों के लिए गंभीर संकट साबित होगा।
मनीष कुंजाम ने बताया कि इन परियोजनाओं से बस्तर के लगभग 56 गांव डूब जाएंगे, जिससे स्थानीय आदिवासियों का जीवन प्रभावित होगा और उनकी सांस्कृतिक पहचान समाप्त हो जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने बिना ग्रामीणों की मंजूरी के इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाया तो बस्तरिया राज मोर्चा इसका विरोध करने के लिए बड़े आंदोलन का आयोजन करेगा।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हित में चल रही परियोजनाएं
कुंजाम ने आरोप लगाया कि बोधघाट और कोट्टागुडम रेल परियोजना बस्तरवासियों के विकास के लिए नहीं, बल्कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हित में लाई जा रही हैं। उनका कहना था कि इन परियोजनाओं से न केवल बस्तर का पारंपरिक स्वरूप खत्म होगा, बल्कि यहां की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी असर पड़ेगा।
सर्वेक्षण को लेकर विरोध और कानून का उल्लंघन
मनीष कुंजाम ने बताया कि कोट्टागुडम-किरंदुल रेल परियोजना का सर्वेक्षण पहले ही शुरू हो चुका है, लेकिन ग्रामीणों की सहमति के बिना सर्वेक्षण करना कानून का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि सुकमा और दंतेवाड़ा में सर्वेक्षण के दौरान स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया था।
नक्सलवाद और सुरक्षा कैंप पर भी मोर्चा की प्रतिक्रिया
नक्सलवाद के मुद्दे पर मनीष कुंजाम ने कहा कि सरकार बस्तर से सुरक्षा कैंप हटाना नहीं चाहती, इसलिए नक्सलियों से बातचीत को आगे नहीं बढ़ा रही। उन्होंने विश्वास जताया कि नक्सलवाद का अंत लिट्टे की तरह होगा।
आंदोलन की तैयारी
प्रेस वार्ता में पिछड़ा वर्ग मोर्चा के संभागीय अध्यक्ष तरुण ठाकुर, हीरमो मंडावी, बोधघाट परियोजना प्रभावित क्षेत्र के मंगलू मांझी और संतोष यादव भी मौजूद थे। मोर्चा ने स्पष्ट किया कि ग्रामीणों से बात-चीत किए बिना कोई भी परियोजना लागू नहीं होने दी जाएगी और आवश्यकतानुसार व्यापक आंदोलन किया जाएगा।