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डाक दिवस विशेष : पुरानी यादों का पुलिंदा , एक चिट्ठी की ताकत

डाक दिवस विशेष : पुरानी यादों का पुलिंदा , एक चिट्ठी की ताकत

#सुशील तिवारी बॉबी

पुराने दिनों की चिट्ठियों में छिपी भावनाएं और इंतजार का मजा, आज की डिजिटल दुनिया में कहीं खो सा गया है।

आज के तेज़-तर्रार दौर में जहां संदेश एक क्लिक पर पहुंच जाते हैं, पुराने ज़माने की चिट्ठियां हमें उस दौर की सादगी और भावनात्मक गहराई की याद दिलाती हैं। चिट्ठी जो रिश्तों को पुख्ता करती थी आज कहीं खो गई है।

डाक दिवस के इस अवसर पर क्यों न हम फिर से एक बार अपनी भावनाओं को कागज़ पर उतारें और अपने माता-पिता, परिवार या दोस्तों को एक चिट्ठी लिखें। वह दिन फिर से याद करें जब पोस्टमैन के इंतजार में दिल धड़कता था, और चिट्ठी मिलने पर चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ जाती थी।

मेरे बड़े के भैया मित्र थे चंद्रपाल कंवर उनको भी चिट्ठी लिखने का बहुत शौक था वे एफएम बैंड और रेडियो पर गाना सुनने के लिए पत्र लखते थे उन्हें कई बार सबसे अधिक पत्र लिखने का अवार्ड प्राप्त हुआ और भी छत्तीसगढ़  रेडियो श्रोता संघ के प्रमुख पदाधिकारी भी है ।

लिखते वक्त पुरानी यादें ताज़ा होंगी, हंसी-आंसुओं का संगम होगा, और आप महसूस करेंगे कि लिखना वास्तव में कितना भावुक और सुकून भरा होता है।

 

आज चिट्ठी दिवस पर आप एक चिट्ठी जरूर लिखें और अपनी भावनाओं को फिर से जीवित करने का प्रयास अवश्य करें ।

sushil tiwari

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