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छत्तीसगढ़ हाउसिंग घोटाला : कालोनाइजर एक्ट में बदलाव से गरीबों के हक पर चोट, बिल्डरों को हजारों करोड़ का फायदा !

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कालोनाइजर एक्ट में संशोधन कर गरीबों के लिए आरक्षित जमीन में कटौती का बड़ा मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि इस एक्ट को बदलने के लिए एक महिला सचिव तैयार नहीं थीं और उन्होंने साफ इंकार कर दिया था कि वे गरीबों का हक मारने वाले इस एक्ट को कैबिनेट में पेश नहीं करेंगी। इसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया।

कैसे बदला एक्ट और कब हुआ पारित?

इस एक्ट में संशोधन को बजट सत्र 2023 में पेश किया गया और 13 मार्च 2023 को विधानसभा में पारित कर दिया गया। हालांकि, यह विधेयक सदन में पारित हुआ था, इसलिए इसे गुपचुप ढंग से लागू नहीं कहा जा सकता, लेकिन इस पर सिर्फ अजय चंद्राकर ने विरोध दर्ज किया, बाकी सभी ने इसे मंजूरी दे दी।

छह महीने तक लटका क्यों रहा आदेश?

संशोधित कानून 13 मार्च 2023 को पारित हुआ था, लेकिन इसे राजपत्र में 13 सितंबर 2023 को प्रकाशित किया गया। यानी छह महीने तक इसे पेंडिंग रखा गया। सूत्रों के मुताबिक, बिल्डरों और अफसरों के बीच सौदेबाजी चल रही थी, इसलिए इसे जानबूझकर रोका गया।

चुनाव से ठीक पहले क्यों बदला गया कानून?

छत्तीसगढ़ के बिल्डर पिछले 13 सालों से इस एक्ट को बदलवाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन सफल नहीं हो पाए। रमन सिंह सरकार के दौरान भी दबाव बनाया गया, लेकिन सरकार झुकी नहीं। कांग्रेस सरकार में भी चार साल तक बिल्डरों की मांगों को अनसुना किया गया। लेकिन, अक्टूबर 2023 के पहले हफ्ते में चुनावी आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले, 13 सितंबर को यह एक्ट बदल दिया गया।

एक साल में 1000 करोड़ का नुकसान

नए नियम के मुताबिक, गरीबों के लिए बिल्डरों को अपनी परियोजनाओं में जो 15% जमीन देनी पड़ती थी, उसे घटाकर 9% कर दिया गया।

पिछले एक साल में रेरा (RERA) में 55.65 लाख वर्ग मीटर जमीन की कॉलोनियों के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ।

पुराने नियम के तहत, नगर निगमों को 200 एकड़ जमीन मिलती, जिससे गरीबों के लिए 27,000 आवास बनते।

लेकिन नए नियम के कारण, यह घटकर मात्र 20 एकड़ रह गया।

एक एकड़ की कीमत 5 करोड़ मानें, तो 200 एकड़ का नुकसान 1000 करोड़ रुपए का बैठता है!

नगर निगमों के हाथ अब खाली

संशोधित नियमों के तहत :

– गरीबों के लिए आरक्षित जमीन 15% से घटाकर 9% कर दी गई।
– यह जमीन अब नगरपालिकाओं और नगर निगमों को नहीं मिलेगी।
– बिल्डर खुद ही जमीन आरक्षित करेंगे और इसे बेचने का अधिकार भी उन्हीं के पास होगा।

पहले, नगरपालिकाएं इस जमीन को गरीबों के लिए सस्ते मकानों के निर्माण में उपयोग करती थीं। लेकिन अब पूरा नियंत्रण बिल्डरों के हाथ में चला गया है।

छत्तीसगढ़ का यूएसपी था गरीबों को शहर में आवास देना

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य था, जहां गरीबों को शहर के भीतर ही पक्के मकान दिए जा रहे थे। भारत सरकार भी इस मॉडल की अन्य राज्यों में नकल करने की सिफारिश कर रही थी।

लेकिन नए संशोधन के चलते यह पूरी योजना धराशायी हो गई। अन्य राज्यों की तरह अब छत्तीसगढ़ में भी गरीबों को शहर से दूर बसाया जाएगा।

23 साल की कोशिश के बाद बिल्डरों को मिली सफलता

बिल्डर 2000 से ही इस एक्ट को बदलवाने की कोशिश कर रहे थे। पहले अजीत जोगी सरकार में बदलाव की मांग उठी, फिर रमन सिंह सरकार पर दबाव डाला गया, लेकिन नतीजा नहीं निकला।

2018 में विधानसभा चुनाव से पहले भी बिल्डरों ने पूरा जोर लगाया, लेकिन सरकार नहीं झुकी।

2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, जब पूरा सरकारी तंत्र चुनाव में व्यस्त था, तब बिल्डरों ने एक्ट में संशोधन करवा लिया।

अब गरीबों का क्या होगा?

नए नियमों के तहत :

गरीबों के लिए 200 एकड़ की जगह सिर्फ 20 एकड़ जमीन ही आरक्षित होगी।

नगर निगम अब गरीबों के लिए जमीन हासिल नहीं कर सकेगा।

बिल्डर खुद ही आवास बनाएंगे और बेचेंगे, जिससे गरीबों को फायदा नहीं मिलेगा।

अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस एक्ट में फिर से बदलाव करेगी? या बिल्डरों को यह छूट बनी रहेगी?

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

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