
@सुशील तिवारी
एटक कार्यालय आजाद चौक दीपका में 8 मार्च को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें कामरेड हरिद्वार सिंह ,अजय विश्वकर्मा, एल. पी. अगरिया, दीपक उपाध्याय, धरमा राव और अरुण सहित कई प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे। बैठक में संसद में कोयला मंत्री द्वारा दिए गए उस बयान पर चर्चा हुई, जिसमें कहा गया कि 9.4.0. स्कीम के तहत बीमार मजदूरों को अनफिट घोषित कर उनके आश्रितों को नौकरी देने की सुविधा अब नहीं मिलेगी।
इस फैसले का विरोध करते हुए एटक नेताओं ने इसे मजदूरों के साथ अन्याय करार दिया। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो कोल इंडिया के स्तर पर बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी, लेकिन मजदूरों के अधिकारों पर कुठाराघात नहीं होने दिया जाएगा।
चार लेबर कोड का कड़ा विरोध, देशव्यापी हड़ताल की तैयारी
बैठक में इस बात पर भी गहरी चिंता जताई गई कि विपक्ष-विहीन संसद में चार लेबर कोड पारित कर दिए गए हैं। नेताओं का कहना है कि इससे पहले 44 श्रम कानून लागू थे, जिनकी रोशनी में विभिन्न राज्यों में 156 कानून प्रभावी थे। लेकिन नए लेबर कोड लागू होने के बाद ये सभी कानून खत्म हो जाएंगे, जिससे मजदूर आंदोलन का अधिकार भी खतरे में पड़ जाएगा।
मजदूर हितों की रक्षा के लिए सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने की घोषणा की गई। इस संबंध में 18 मार्च को दिल्ली में भारत के 10 सेंट्रल ट्रेड यूनियनों का कन्वेंशन आयोजित किया जाएगा, जिसमें देशभर के मजदूर भविष्य की रणनीति पर फैसला करेंगे। संभावना जताई जा रही है कि मई महीने में कम से कम दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल होगी, जिसमें गेवरा क्षेत्र समेत एसईसीएल (SECL) में भी जबरदस्त हड़ताल की जाएगी।
एटक नेताओं ने स्पष्ट किया कि चार लेबर कोड उन्हें किसी भी हाल में मंजूर नहीं हैं और मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष तेज किया जाएगा।