छत्तीसगढ़रायपुर

चैत्र नवरात्रि पंचमी : नवरात्रि के पांचवें दिन करें स्‍कंदमाता की पूजा, संतान प्राप्ति की मनोकामना होगी पूर्ण, जानें शुभ मुहूर्त-मंत्र और आरती

नवरात्रि के पांचवें दिन स्‍कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप है. स्कंदमाता की पूजा करने पर संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होता है. भगवती पुराण के अनुसार नवरात्र के पांचवें दिन स्‍कंदमाता की पूजा करने से ज्ञान और शुभ फलों की प्राप्ति होती है. स्कंदमाता चार भुजाधारी कमल के पुष्प पर बैठती हैं. इसलिए इनको पद्मासना देवी भी कहा जाता है.

आइए जानते हैं स्‍कंदमाता की पूजाविधि, पूजा मंत्र, आरती और किन चीजों का भोग लगाना चाहिए…

स्कंदमाता की पूजा के लिए शुभ समय –

चैत्र नवरात्र के पांचवें दिन पंचमी तिथि है. पंचमी तिथि में स्कंदमाता की पूजा की जाएगी. पंचमी तिथि 12 अप्रैल 2024 दिन शुक्रवार को शाम 04 बजकर 50 मिनट से पंचमी का आरंभ हो रहा है, जो 13 अप्रैल 2024 दिन शनिवार को 03 बजकर 55 मिनट तक व्याप्त रहेगा. नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने के लिए शुभ समय सुबह 5 बजकर 28 मिनट से 11 बजे तक है.

मां स्कंदमाता पूजा विधि –

स्कंदमाता की पूजा में अक्षत, बताशा, पान, सुपारी, लौंग धूप, लाल फूल आदि अर्पित करें. इसके साथ ही आप स्कंदमाता को केले या केले से बनी चीजों जैसे केले के हलवे का भी भोग लगा सकते हैं. स्कंदमाता की पूजा के अंत में आरती करें और उनके मंत्रों का जाप करें.

मां स्कंदमाता को इन चीजों का लगाएं भोग –

स्कंदमाता को केले का भोग अति प्रिय है, इसके अलावा मां भगवती को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित करना चाहिए. आप स्कंदमाता की पूजा में फल, फूल मिठाई, लौंग, इलाइची, अक्षत, धूप, दीप और केले का फल अर्पित करें. मां स्कंदमाता को सफेद रंग काफी पसंद है, इस दिन सफेद रंग पहनना शुभ माना जाता है. इसलिए आप सफेद रंग का वस्त्र धारण करके ही मां स्कंदमाता की पूजा करें. स्कंदमाता की पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है.

मां स्‍कंदमाता का स्‍वरूप –

नवरात्रि की पांचवीं देवी को स्‍कंदमाता कहा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव की अर्द्धांगिनी के रूप में मां ने स्‍वामी कार्तिकेय को जन्‍म दिया था. स्‍वामी कार्तिकेय का दूसरा नाम स्‍कंद है, इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरूप को स्‍कंदमाता कहा गया है, जो कि प्रेम और वात्‍सल्‍य की मूर्ति हैं. स्‍कंदमाता चार भुजाओं वाली देवी हैं, जो कि स्‍वामी कार्तिकेय को अपनी गोद में लेकर शेर पर विराजमान हैं. स्‍कंदमाता के दोनों हाथों में कमल शोभायमान हैं, इस रूप में मां समस्त ज्ञान, विज्ञान, धर्म, कर्म और कृषि उद्योग सहित पंच आवरणों से समाहित विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहलाती हैं.

मां स्कंदमाता के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।

मां स्कंदमाता का पूजन मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नम:।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां स्कंदमाता की आरती –

जय तेरी हो स्कंद माता। पांचवा नाम तुम्हारा आता।।
सब के मन की जानन हारी। जग जननी सब की महतारी।।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं। हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।।
कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा।।
कही पहाड़ो पर हैं डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा।।
हर मंदिर में तेरे नजारे। गुण गाये तेरे भगत प्यारे।।
भगति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।।
इंद्र आदी देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे।।
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं। तुम ही खंडा हाथ उठाएं।।
दासो को सदा बचाने आई। ‘चमन’ की आस पुजाने आई।।

Ashok Kumar Sahu

Editor, cgnewstime.com

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!