
रायपुर। देश की राजनीति में कांग्रेस अगर किसी राज्य में सबसे ज्यादा मजबूत है तो वह है छत्तीसगढ़। इसकी बड़ी वजह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सक्रियता भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि बघेल हर समय इलेक्शन मोड में नजर आते हैं। बघेल का यह अंदाज भाजपा के सातों दिन 24 घंटे के नारे पर भारी पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ उन राज्यों में से है जहां इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। 90 विधायकों की विधानसभा में कांग्रेस के 71 विधायक हैं। कांग्रेस के सत्ता में बने रहने के प्रयास जारी हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जमीनी नब्ज टटोलने के साथ आमजन से संवाद के लिए भेंट मुलाकात अभियान चला रखा है। वे अब तक 90 में से लगभग 85 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं।
राज्य में लगभग डेढ़ दशक तक भाजपा की सरकार रही और वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त तरीके से सत्ता में वापसी की थी। उसके बाद चार विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए और इन सभी में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। लोकसभा चुनाव में जरूर कांग्रेस को बड़ी हार मिली, लेकिन इसके अलावा नगरीय निकाय और पंचायतों में भी अधिकांश स्थानों पर कांग्रेस का कब्जा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो कांग्रेस की ताकत में लगातार इजाफा हुआ है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यशैली पर गौर किया जाए तो एक बात साफ नजर आती है कि वह पूरे समय प्रशासनिक कसावट लाने के साथ सरकारी योजनाओं से आमजन को लाभ दिलाने की कोशिशों में जुटे नजर आते हैं। सियासी जमीन को पुख्ता करने की उनकी कोशिशें लगातार जारी रहती हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जहां उन्होंने गोधन न्याय योजना की शुरूआत की तो वहीं अनेक वनोपज को समर्थन मूल्य के दायरे में लाया है। हाल ही में उच्च न्यायालय द्वारा 58 फीसदी तक आरक्षण किए जाने पर लगाई गई रोक को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज किया तो सरकारी नौकरी में भर्ती का सिलसिला भी तेज हो गया। इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़ी अस्मिता को नई पहचान देने के प्रयास किए। यही कारण रहा कि छत्तीसगढ़ी त्योहारों को मुख्यमंत्री आवास से लेकर गांव तक धूमधाम से मनाया जा रहा है।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव तंज कसते हुए कहते हैं कि भूपेश बघेल ने वादा खिलाफी के कीर्तिमान रचे हैं। चुनाव से पहले जो वादे किए, उसी से मुकर रहे हैं। कांग्रेस की विश्वसीयता समाप्त हो चुकी है। जो वादे किए गए थे, वे लंबित हैं। सरकार ने न तो शराबबंदी की और न ही संपत्ति कर आधा हुआ, बेरोजगारों का न भत्ता मिला और 20 लाख का मुफ्त इलाज भी नहीं हुआ।
वहीं, कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा का कहना है कि बघेल मूल रूप से किसान परिवार से हैं। उन्हें परिश्रम करने की आदत है। वे विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, तब उन्होंने पूरे प्रदेश की पदयात्रा की थी और हर गांव तक पहुंचे थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने ये सिलसिला जारी रखा है। वे हर विधानसभा क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। उनका भेंट-मुलाकात अभियान पूरा होने वाला है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य की सियासत में कम नेता हैं जो पूरे समय राजनीति करते नजर आते हैं। मुख्यमंत्री बघेल उन नेताओं में शामिल हैं जो पूरे समय सक्रिय रहते हैं। एक तरफ जहां वे सत्ता के सहारे जनता तक पहुंच रहे हैं, वही सरकार की योजनाओं से जनता को लाभ दिलाने में केाई कसर नहीं छोड़ रहे।
इसके साथ जमीनी हकीकत जानने उनका भेंट-मुलाकात अभियान जारी है। एक तरफ सत्ता की कमान उनके हाथ में है तो दूसरी तरफ वे संगठन की भी नब्ज पर हाथ रखे हुए हैं। कुल मिलाकर एक सफल राजनेता के लिए जो जरूरी है, वह सारे दाव पेंच आजमाने में वे पीछे नहीं हैं।