छत्तीसगढ़ बड़ी खबर : 5 विकासखंड भू-जल संकट की जद में, सरकार ने दिए जलसंवर्धन के निर्देश

रायपुर, 8 अप्रैल 2025। छत्तीसगढ़ में भू-जल स्तर को लेकर चिंताजनक स्थिति सामने आई है। राज्य के 146 विकासखंडों में से 5 विकासखंडों को ‘क्रिटिकल’ (संकटकालीन) श्रेणी में रखा गया है, जबकि 21 विकासखंडों को ‘सेमी क्रिटिकल’ (अर्धसंकटकालीन) श्रेणी में रखा गया है।
जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा तैयार रिपोर्ट के आधार पर, जल संसाधन विभाग ने सभी कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि भू-जल संवर्धन के लिए जरूरी संरचनाएं मनरेगा, जिला खनिज न्यास मद और आपदा प्रबंधन कोष के माध्यम से कराई जाएं।
संकटग्रस्त विकासखंड
रिपोर्ट के अनुसार, जिन 5 विकासखंडों को ‘क्रिटिकल’ श्रेणी में रखा गया है, वे हैं:
गुरूर (जिला बालोद)
नवागढ़, बेमेतरा, बेरला (जिला बेमेतरा)
धरसींवा (जिला रायपुर)
अर्धसंकटकालीन विकासखंड (21 ब्लॉक)
रिपोर्ट में 21 विकासखंडों को अर्धसंकटकालीन बताया गया है, जिनमें प्रमुख हैं:
बालोद, गुंडरदेही (बालोद)
साजा (बेमेतरा)
तखतपुर, बेल्हा (बिलासपुर)
धमतरी, कुरूद (धमतरी)
दुर्ग, धमधा (दुर्ग)
राजिम, फिंगेश्वर (गरियाबंद)
पंडरिया (कबीरधाम)
चारामा (कांकेर)
खैरागढ़ (खैरागढ़-छुईखदान-गंडई)
बसना, पिथौरा (महासमुंद)
पुसौर (रायगढ़)
राजनांदगांव, डोंगरगांव, डोंगरगढ़ (राजनांदगांव)
बरमकेला (सारंगढ़-बिलाईगढ़)
सुरजपुर (सुरजपुर)
शेष 120 विकासखंडों को सुरक्षित श्रेणी में रखा गया है।
कलेक्टरों को भेजे गए निर्देश
महानदी भवन स्थित मंत्रालय से जारी पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि इन संकटग्रस्त क्षेत्रों में भू-जल स्तर को बनाए रखने हेतु वर्षा जल संचयन, जल संरचनाएं और सतही जल संरक्षण जैसे उपायों को प्राथमिकता दी जाए।
प्रदेश सरकार का उद्देश्य जल संकट की रोकथाम एवं दीर्घकालीन जल सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अब यह देखना होगा कि जिलों में प्रशासन इन निर्देशों को कितनी तत्परता से लागू करता है।