नई दिल्ली: आज भारत 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। यह अवसर विशेष था क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने 11वीं बार इस पवित्र स्थल पर तिरंगा फहराया। लालकिला परिसर में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में इस बार 11 श्रेणियों के तहत 18 हजार मेहमान शामिल हुए, जिनमें से 6 हजार विशेष मेहमान महिला, किसान, युवा और गरीब वर्ग से थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत भारत माता की जयकार से की और अपने संबोधन में देशवासियों को ‘मेरे परिवारजन’ कहकर संबोधित किया। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि यह समय उन वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का है जिन्होंने देश के लिए अपने जीवन को समर्पित किया और फांसी पर चढ़कर भी भारत माता की जयकार की। उन्होंने कहा, “आजादी के दीवानों ने हमें स्वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्य दिया है। यह देश महापुरुषों का ऋणी है।”
प्रधानमंत्री ने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के योगदान की सराहना की और कहा, “आज देश की सुरक्षा और निर्माण में लगे हर व्यक्ति को सम्मान देना हमारा कर्तव्य है। चाहे वह किसान हो, जवान हो, युवा हो, या हमारी माताएं और बहनें, सभी ने स्वतंत्रता के प्रति अपनी निष्ठा और संघर्ष के माध्यम से एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है।”
उन्होंने विशेष रूप से महिला, किसान और गरीब वर्ग की भागीदारी को सराहा, जो स्वतंत्रता के इस पर्व को अधिक सार्थक बनाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन वर्गों के योगदान के बिना स्वतंत्रता का यह पर्व अधूरा रहता। उनका आदर्श और संघर्ष हमें प्रेरित करता है और हमें अपने देश की महानता को समझने में मदद करता है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देशवासियों को एकजुटता और दृढ़ता के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि हर भारतीय को अपने देश की उन्नति और विकास में योगदान देने का अवसर मिला है और सभी को इसे पूरी निष्ठा से निभाना चाहिए।
उनके भाषण के अंत में, प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की और वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों से इस स्वतंत्रता की रक्षा और उसे संजोए रखने का आह्वान किया। उन्होंने सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी और देश के उज्जवल भविष्य की कामना की।
यह स्वतंत्रता दिवस समारोह न केवल एक ऐतिहासिक पल था, बल्कि यह भारतीय समाज के विविध हिस्सों के योगदान और उनकी स्थायी निष्ठा का सम्मान करने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर था। प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन आज के दिन को और भी खास बना गया।