कबीरधाम। हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत ही खास होता है और इसे बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। चैत्र माह की नवरात्रि की आज 9 अप्रैल 2024, मंगलवार से शुरू हो गई हैं और इसका समापन 17 अप्रैल 2024 बुधवार को होगा।
वही, इस साल की रामनवमी बहुत ही खास होगी, क्योंकि 500 साल बाद अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा के बाद धूमधाम से रामनवमी का पर्व मनाया जाएगा। कवर्धा में प्रभु श्रीराम के प्राकट्य दिवस नजदीक आते ही राम भक्त उत्सव को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी में जुट गए है। अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामनवमी हैं, जो कवर्धावासियों के लिए खास हैं। धर्मनगरी कवर्धा के कचहरी पारा स्थित प्रभु श्री जानकी रमण प्रभु देवालय (राम मंदिर) में इन दिनों जोरो से तैयारियां चल रही है।
चन्द्रप्रकाश उपाध्याय द्वारा दी गई जानकारी
शंकराचार्य जन कल्याण न्यास के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी चन्द्रप्रकाश उपाध्याय ने बताया कि रामनवमी, जिसे भगवान राम के जन्म के रूप में जाना जाता है। इस वर्ष बुधवार, 17 अप्रैल को मनाई जा रही है। रामनवमी का शुभ पर्व चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि 09 अप्रैल से आरंभ हो रही औ 17 अप्रैल तक मनाई जाएगी। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था और इसलिए इस दिन को प्रत्येक वर्ष भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
कलकत्ता के आकर्षित फूलों से सजेगा देवालय
वही इस दिन प्रभु श्री जानकी रमण प्रभु देवालय (राम मंदिर) को कलकत्ता के विशेष रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाएगा, जो आकर्षण का केंद्र होगा। इस अवसर पर पूरे जिले और शहर के माताएं बहने भाई सभी अपनी अपनी श्रद्धा अनुरूप प्रभु देवालय पहुंच उत्सव में शामिल होते हैं। रामनवमी के अवसर पर कवर्धा भगवामय होगा। इसके साथ ही मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन किया जाएगा।
रामनवमी पर लगता है भक्तों का तांता
रामनवमी के पावन अवसर पर सुबह से ही प्रभु श्री जानकी रमण प्रभु देवालय (राम मंदिर) में भक्तों का तांता लगा रहता हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक और महिलायें भी श्री राम जी के प्रकट्य दिवस पर दर्शन लाभ लेने के लिए मंदिर पहुंचते हैं। युवाओं द्वारा बाइक रैली का भी आयोजन किया जाएगा।
विशेष मालपुआ व पंजरी का लगेगा भोग
वही, ट्रस्टी ने बताया जन्मोत्सव पश्चात रामलला का अभिषेक कर स्वर्णरजित वस्त्र व आभूषणों से शृंगार किया जाएगा और रामलला को सबसे प्रिय भोज मालपुआ व पंजरी का भोग लगाकर आरती किया जाएगा, जिसके पश्चात प्रसाद स्वरूप भक्तों को वितरण किया जाना हैं।